शहीद रवि कुमार सिंह के परिवार को घर का चिराग बुझ जाने का गम है, लेकिन उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनका बेटा देश के लिये शहीद हआ है। पिता संजय सिंह बताते हैं कि उनके बेटे ने दीवाली पर आने का वादा किया था। पर अब वो कभी नहीं आएगा। आंसू पोछते हुए पिता कहते हैं कि मेरा एक बेटा था जो शहीद हो गया। अगर दूसरा बेटा होता तो उसे भी सरहद की हिफाजत के लिये भेज देता। कैंसर से जूझ रहे पिता जोश से भरकर कहते हैं कि सरकार आदेश दे तो मैं खुद लड़ने के लिये तैयार हूं। मां रेखा सिंह कहती हैं कि उनका बेटा शेर था। वह किसी से नहीं डरता था। उसने देश के लिये सीने पर गोली खाई है। मुझे अपने बेटे पर नाज है।
परिवार में देशप्रेम का जज्बा कूट-कूटकर भरा हुआ है। यही वजह है कि घर का इकलौता लड़का और परिवार का एकमात्र सहारा शहीद हो जाने के बाद भी परिवार में देश के लिये न्योछावर हो जाने का हौसला बुलंद है। पिता कहते हैं कि दूसरा बेटा होता तो उसे भी सरहद पर भेजता, मां बेटे को शेर बताती है और पत्नी कहती है कि उन्हें गर्व है कि उनका पति देश के लिये शहीद हुआ। परिवार के इस जज्बे को पूरा मिर्जापुर सलाम कर रहा है।
By Suresh Singh