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मिर्जापुर

भ्रष्टाचार का स्टेडियम, 8 साल बीत जाने के बाद भी काम है अधूरा

2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में स्पोर्ट्स स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ था

मिर्जापुरJul 31, 2018 / 05:54 pm

Devesh Singh

scam in sports stadium construction

स्पोर्ट्स स्टेडियम के निर्माण में घोटाला

मिर्जापुर. इसे भ्रष्टाचार का स्टेडियम तो कहेंगे। आठ साल में लगभग चार करोड़ खर्च हुए, फिर भी स्टेडियम नहीं बन सका। स्टेडियम की दीवारों से लेकर भवन, पवेलियन तक सब जर्जर हालत में है। अब जब मामले की दोबारा जांच शुरू हुई तो शासन अधिकारियों से रिकवरी की बात कर रहा है।

दरअसल, जसोवर पहाड़ी पर आठ साल पहले 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में स्पोर्ट्स स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य था कि यहां की प्रतिभाएं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करे। यहां विभिन्न खेलों के लिए ग्राउंड और हॉस्टल भी तैयार करना था। लेकिन निर्माण के साथ ही भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो गया। यह अधिकारियों के लिए लूट का मुफीद अड्डा बन गया।
स्टेडियम के निर्माण की जिम्मेदारी लैकफैड को मिली। शुरूआत में दो करोड़ 12 लाख एक हजार रुपये का बजट स्वीकृत हुआ। इससे स्टेडियम में चारों तरफ चहारदीवारी और बिल्डिंग बनाने का काम होना था। काम तो शुरू हुआ, लेकिन पूरा आज तक न हो सका। बीच में ही लैकफैड के अधिकारियों और ठेकेदारों के गठजोड़ ने गड़बड़ी शुरू कर दी। इसकी शिकायत तब राज्यपाल से की गई थी। राज्यपाल ने पूरे मामले की जांच करने का निर्देश भी दिया। लेकिन सचिवालय में यह फाइलों के बोझ में दबकर रह गई।
दोबारा हुआ बजट स्वीकृत
इस बीच शासन ने एक बार फिर से अधूरे स्टेडियम को पूरा करने के लिए एक करोड़ 86 लाख रुपए स्वीकृत किए। लैकफैड को स्टेडियम के निर्माण के लिए शासन की तरफ से कुल तीन करोड़ 97 लाख 18 हजार रुपए दिए गए। मगर इसके बाद भी अधूरी व टूटी चहारदीवारी और जर्जर बिल्डिंग के अलावा लैकफैड वहां कुछ नहीं बनवा सकी। रुपए का आपस में बंदरबाट हो गया। हालत यह है कि आठ साल समय बीतने के बाद भी स्टेडियम में मुख्य पवेलियन का निर्माण नहीं हो पाया। जो निर्माण कार्य किया भी गया था वह घटिया दर्जे का है।
कागजों पर दिखाया 75 प्रतिशत काम पूरा
सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात यह कि इन घोटालेबाजों ने कागजो पर स्टेडियम का 75 प्रतिशत से अधिक का कार्य पूरा दिखा दिया, जबकि मौके पर सभी कार्य अधूरे हैं।
अब मान रहे घोटाले की बात
मामले की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता इरशाद अली ने 26 जून 2017 को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की। इसमें उन्होंने निर्माण कार्य मे हुए भ्रष्टाचार की जांच और दोषी लोगों से पैसे की रिकवरी की मांग की। शिकायत पर सीएम ने 16 अगस्त को 2017 टेक्निकल जांच कमेटी(टीएसी) का गठन किया।
जांच के एक साल बाद टीएसी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है। खेल निदेशालय की तरफ से 24 जुलाई 2018 को इरशाद अली को पत्र के माध्यम से जानकारी दी गई। इसमें स्टेडियम के निर्माण में घोटाले की बात स्वीकार की गई। पत्र में जानकारी दी गई कि जांच के दौरान एक करोड़ 57 लाख सात हजार 232 रुपये के कार्य अपूर्ण पाए गए हैं। इसके अतिरिक्त पवेलियन भवन में 10 लाख 25 हजार अठारह रुपये का कार्य क्षतिग्रस्त है।
इनको पाया गया दोषी
जांच में इस अनिमितता के लिए अवर अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता को सीधे तौर पर दोषी बताया गया है। इसके साथ ही उच्च स्तर पर अधिकारियों की निर्माण कार्य की देख रेख में लापरवाही पाई गई है। 3 अप्रैल 2018 को शासन ने अपर मुख्य सचिव सहकारिता को पूरे मामले में कड़ी करवाई करने व इसमें दोषी अधिकारियों से घोटाले की धनराशि की वसूली करने का निर्देश दिया गया है।
BY- SURESH SINGH

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