बालेसर राजकीय सामुदायिक अस्पताल बालेसर व शेरगढ उपखण्ड क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल है। जोधपुर- पोकरण के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर एकमात्र रेफरल अस्पताल है। यहां प्रतिदिन 200 से 300 रोगी उपचार को आते हैं।
गत दस वर्ष पूर्व शेरगढ विधायक बाबूसिंह राठौड़ ने अस्पताल के जीर्णोद्धार व आउटडोर सहित नए निर्माण कार्यों के लिए 35 लाख रुपए स्वीकृत किए थे। लेकिन अस्पताल के भूखण्ड विवाद को लेकर विरोधी पक्ष ने न्यायालय से स्थगन आदेश लिया था। तब से निर्माण कार्य रुका हुआ था।
विडम्बना रही कि ठेकेदार ने नया बजट देखकर अस्पताल में पुराना पुरुष वार्ड व ऑपरेशन थिएटर तोड़कर अस्त व्यस्त कर दी। तब से अस्पताल क्षतिग्रस्त था। जब कभी मरम्मत शुरू होती तो विरोधी स्थगन आदेश की आड़ में कार्य बंद करवा देते।
उपखण्ड अधिकारी ने की पहल विकास राजपुरोहित ने बालेसर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान यहां हालात देख दंग रह गए। उपखण्ड अधिकारी विकास राजपुरोहित ने राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी की बैठक लेकर अस्पताल प्रभारी से अस्पताल जमीन विवाद व अदालत में चल रहे मामले की जांच की तो पता चला कि केवल नए निर्माण कार्यों पर रोक है।
तब उपखण्ड अधिकारी ने अस्पताल प्रभारी डॉ. दुर्गेश भाटी को अधूरे व पुराने कार्यों की मरम्मत शुरू करने के निर्देश दिए। 10 लाख से अधिक बजट खर्च कर अधूरे पड़े पुरुष वार्ड, ऑपरेशन थियेटर, लेबर रूम, शौचालय की मरम्मत करवाई। मुख्य गेट की मरम्मत के साथ कर्मचारियों के बैठने के लिए काउंटर बनाया।
इनका कहना इस प्रकरण में जमीन पक्ष के लोगों पूर्व में कई बार मरम्मत कार्य रुकवाने से अस्पताल में सुविधाएं नहीं मिल रही थी। अब उपखण्ड अधिकारी की पहल व सहयोग से कई अधूरे कार्य पूरे हुए। अब अस्पताल सुचारू चलने में आसानी होगी।
-दुर्गेश भाटी सीएससी प्रभारी बालेसर। मैंने अस्पताल का जायजा लिया तब वस्तु स्थिति का पता लगा तो नए निर्माण कार्यों पर रोक है। अधूरे व मरम्मत कार्यों पर कोई रोक टोक नहीं है, हमने पहल की सबने सहयोग किया तो काफी काम अच्छा हुआ है।
– विकास राजपुरोहित उपखण्ड अधिकारी बालेसर।