लागत निकलना तो बहुत दूर की बात है, तुड़ाई के पैसे और किराया का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा है
मिर्जापुर. लॉकडाउन के चलते सब्जी किसान बेहाल हैं। खपत नहीं होने के चलते मंडी में सब्जी औने-पौने दामों में बिक रही है। लागत निकलना तो दूर किसान की मजदूरी भी नहीं निकल रही है। मिर्जापुर के अहरौरा स्थित सब्जी मंडी का बहुत बुरा हाल है। न खरीदार पहुंच रहे हैं और न आढ़तिया। नतीजन भिंडी, तरोई, कोहड़ा (कद्दू) और लौकी एक रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रही है। वहीं, बिक्री न होने से बैंगन को सड़कों के किनारे फेंक दिया जा रहा है।
किसानों का कहना है कि खेत में सब्जी की फसल तैयार है, मगर लॉकडाउन की वजह से सब्जी बिक्री के लिए बाहर नहीं जा पा रही है। इसकी वजह से सब्जी के रेट गिर गए हैं। मंडी में बैंगन बेचने आये किसान मिठाई लाल का कहना है कि 10 विस्वा में बैगन और भिंडी की खेती किये हैं। मगर बैगन बिक नहीं रहा है। भिंडी एक रुपये किलो में बिक रही है। लागत निकलना तो बहुत दूर की बात है, किराया के पैसे भी नहीं निकल पा रहे हैं। मंडी में मौजूद किसान कृष्णा और सूबेदार सब्जियों की कीमत घटने का कारण लॉकडाउन की वजह से बंद स्थानीय बाजार को बता रहे हैं। इनका कहना है कि बाहर से कोई खरीदार व्यापारी नहीं आ रहा है, जबकि सब्जी खूब पहुंच रही है। अहरौरा मंडी के ट्रेडर राज चौहान का कहना है कि यहां किसानों की हालत यह है कि नेनुआ (तरोई) एक रुपया प्रति किलो, भिंडी एक रुपया प्रति किलो की दर से बिक रही है। वह कहते हैं कि किसानों को कोई मुनाफा नहीं हो रहा है तो मेरा कमीशन कैसे आएगा।
हरी सब्जियों के भाव तरोई- एक रुपए प्रति किलो भिंडी- एक रुपए प्रति किलो लौकी- एक रुपए प्रति किलो कद्दू– एक रुपए प्रति किलो
Home / Mirzapur / यहां एक रुपए प्रति किलो बिक रही लौकी-तरोई और भिंडी, सड़कों पर फेंका जा रहा बैंगन