क्या होती हैं ‘साइलेंट कॉल्स ‘? साइलेंट कॉल (मूक कॉल) उन फोन कॉल्स को कहते हैं, जिनमें फोन करने वाला व्यक्ति बात नहीं करता है, बल्कि उस वक्त पृष्ठभूमि में जो घटित हो रहा होता है उसकी आवाज सुनाई देती है। इसका मतलब होता है कि उधर से बात करने वाला संकट में है, लेकिन बोलने की स्थिति में नहीं है और मदद चाहता है।
गंभीरता से ली जाती हैं साइलेंट कॉल्स वैसे इन मूक कॉल्स को प्रबंधन की तरफ से काफी गंभीरता से लिया जाता है। आंकड़ों से पता चला है कि 2015-16 में मूक कॉल की संख्या 27 लाख से बढ़कर 2016-17 में 55 लाख से अधिक हो गई है। ‘साइलेंट कॉलर्स’ ज्यादातर बच्चे या फिर युवा होते हैं, जो दोबारा फोन कर सकते हैं और किसी परेशानी या संकट में फंसे बच्चे की जानकारी किसी माध्यम से दे सकते हैं। चाइल्ड हेल्पलाइन से जुड़ी वालिया का कहना है कि , ‘ऐसा बहुत कम ही होता है कि जब बच्चा पहली बार में ही अपनी परेशानी बता सके। ऐसी स्थिति में काउंसलर उससे बात करके उस में विश्वास पैदा करता है। इस तरह काउंसलर की भी जिम्मेदारी होती है कि वह उस परिस्थिति में कॉलर के मन में विश्वास पैदा करने की कोशिश करे।’सबसे दिलचस्प बात यह है कि कई फोन कॉल भावनात्मक समर्थन के लिए भी आते हैं। इसमें तनावग्रस्त परिवार की परिस्थिति जैसे कि परिजन का अलग होना और परिवार के अलग होने की समस्या को लेकर किए गए कॉल भी शामिल हैं। 3.4 करोड़ कॉल्स में से हेल्पलाइन ने केवल छह लाख मामलों में हस्तक्षेप किया है। यह आकंड़ा मदद के लिए फोन करने वालों की तुलना में बहुत छोटा है। इससे यह पता चलता है कि बहुत से बच्चों को मदद की जरूरत है।वैसे साइलेंट कॉल्स करने वालों की लगातार मदद की जा रही है।
साल कितने मामलों में दखल
2015-16 1.7 लाख
2016-17 2.1 लाख
2017-18 2.3 लाख