उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान में आईएसआई और सेना का कब्जा है तब तक दोनों देशों के बीच शांति संभव नहीं है। इसलिए पाकिस्तान को सबक सिखाने की घड़ी आ गई है। उन्होंने कहा कि इस बार की कार्रवाई में आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। जहां तक जम्मू और कश्मीर में आतंकियों द्वारा पुलिस को निशाना बनाने की बात है तो ये अमानवीय हरकत उनकी कुंठा का सबूत है। आंतिकयों का पूरी तरह से सफाया करने के लिए साइबर सुरक्षा पर अलग प्रक्रिया बनानी होगी। सेना में आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देना होगा।
उन्होंने कहा घाटी में अलगावादी नेता मौज में हैं। वहीं अलगाववादियों के परिवार वाले विदेशों में मौज करते हैं। इसकी कीमत जम्मू और कश्मीर के लोग चुका रहे हैं। कश्मीर में आम आदमी मुश्किल में है। आतंकी घटनाओं की वजह से विकास कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं। कश्मीर की अवाम को नौकरी चाहिए जो उन्हें नहीं मिल पा रहा है। इन सभी बातों के लिए पाक सेना और अलगाववादी संगठन के लोग जिम्मेदार हैं।
केंद्र सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता रद्द करने के फैसले का सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा शांति वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं हो सकता। सरकार ने वार्ता रद्द करके सही फैसला किया है। रावत ने कहा कि हमारी सरकार की नीति है कि बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं हो सकते। हमने पाकिस्तान को साफ-साफ संदेश दिया है कि वह कुछ ऐसा करके दिखाए, जिससे साबित हो कि वो आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं। पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए रावत ने कहा कि आप खुद बार-बार खुद बोलते हैं कि हम अपनी सरहद का इस्तेमाल किसी दूसरे देश के इलाके में आतंकवाद गतिविधि के खिलाफ होने नहीं देंगे। मगर आतंकवादी गतिविधियां जारी है। आतंकी सरहद के पार से आ रहा है।