डीओपीटी से मिले आंकड़ों के मुताबिक 2014 में अर्जित संपत्तियों का 1164 आईएएस अफसरों ने रिटर्न ही नहीं दाखिल किया। इसके अलावा 2015 का 1137 आईएएस ने ब्यौरा नहीं दिया। इस बीच सरकार ने कुछ सख्ती बरती तो सुस्त पड़े आईएएस अफसरों ने प्रापर्टीज की जानकारी देनी शुरू की। फिर भी 592 आईएएस डिफॉल्टर रहे। इसी तरह 2017 के लिए 715 अफसरों ने संपत्तियों की जानकारी नहीं दी। इसमें यूपी के 86 आईएएस हैं। देश में 6396 पदों की तुलना में 4926 आईएएस कार्यरत हैं।
आपको बता दें कि अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के अफसरों के लिए हर साल रिटर्न भरने का सख्त नियम है। जमीन, जायदाद और मकान आदि से जुड़े इस अचल संपत्ति रिटर्न को भरने में फेल होने पर विजलेंस क्लीयरेंस और प्रमोशन आदि के लाभ से वंचित करने की चेतावनियों की भी अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है। अधिकारियों की इस रुख को देखते हुए डीओपीटी के नियमों के अनुसार दो हजार से ज्यादा अधिकारियों पर डिफॉल्टर होने का ठप्पा लग चुका हैं। यूपी में अवैध खनन के मामले में चर्चित आईएएस अफसर बी चंद्रकला के ठिकानों पर जिस तरह से छापेमारी हुई तो अफसरों की काली कमाई का मामला फिर से बहस में आ गया है।