कोरोना वायरस (Coronavirus Outbreak) महामारी का खौफ इतना ज्यादा है कि लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। 5 महीने से जारी लॉकडाउन (Lockdown) से भारतीयों में तनाव ज्यादा बढ़ा है। एक अध्ययन के मुताबिक 43 प्रतिशत भारतीय डिप्रेशन का शिकार हुए हैं।
10 हजार लोगों पर हुआ सर्वेक्षण स्मार्ट तकनीक (Smart technology) से लैस रक्षात्मक स्वास्थ्य देखभाल मंच जीओब्यूआईआई द्वारा करीब 10 हजार भारतीयों पर यह जानने के लिए सर्वेक्षण किया गया कि वे कोरोना वायरस (Coronavirus) से उत्पन्न परिस्थिति का किस तरह से सामना कर रहे हैं।
कोरोना के कारण डिप्रेशन मामलों में बढ़ोतरी वहीं मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों (Mental health experts) ने बताया कि देश में कोरोना वायरस के कारण घबराहट, डिप्रेशन (depression) और आत्महत्या जैसे मामलों में बढ़ोतरी हुई है। संक्रमण के कारण लोगों को नींद में परेशानी, बेचैनी और डिप्रेशन
(Depression) की शिकायत हो रही है।
इतनी प्रतिशत में दिखे गंभीर लक्षण अध्ययन में शामिल 26 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि वे हल्के अवसाद से ग्रस्त हैं जबकि 11 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि वे काफी हद तक अवसाद से ग्रस्त हैं। वहीं 6 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अवसाद के गंभीर लक्षण होने की बात स्वीकार की।
43 प्रतिशत लोग अवसाद से ग्रस्त अध्ययन के मुताबिक 5 महीने में हुए लॉकडाउन (Lockdown) व तेजी से बढ़ रहे कोरोना से स्थिति और खराब हुई है। लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है। इस लॉकडाउन के कारण नौकरी जानी की चिंता, स्वस्थ संबंधी और कई प्रकार के तनाव से लोग ग्रस्त रहे हैं। अध्ययन में कहा गया है कि लोग अलग-अलग प्रकार के तनाव से ग्रस्त है और देखा गया है कि 43% भारतीय अवसाद ग्रस्त हैं।
एेसे हुआ आंकलन सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों में अवसाद के स्तर को आंकने के लिए अध्ययनकर्ता मरीज द्वारा स्वयं भरी जाने वाली प्रश्नावली या पीएचब्यू-9 (मनोरोग का प्राथमिक देखभाल मूल्यांकन फार्म) पर निर्भर थे।
तेजी से बढ़ रही है मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जीओक्यूआईआई के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल गोंदल ने कहा कि हमारा अध्ययन संकेत करता है कि कोरोना वायरस का प्रसार और उसकी वजह से लागू लॉकडाउन से देश में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से सामना करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बढ़ती अनिश्चितता उच्च तनाव सूचकांक का आधार है जिसे संतुलित भोजन, दिनचर्या में बदलाव, उचित नींद लेकर नियंत्रित किया जा सकता है।