मुंबई। सरकार देशभर में इस समय कैशलेस इकोनोमी को प्रमोट कर रही है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और केंद्र सरकार की ओर से डिजीटल लेन-देन के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस नेटवर्क तैयार किया गया है। नोटबंदी के बाद जहां पूरा देश कैश क्रंच से जूझ रहा है वहीं पब्लिक सेक्टर के 5 बड़े बैंक अभी तक यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) में शामिल नहीं हुए।
नोटबंदी के दो सप्ताह बाद एसबीआई ने शुरू की यूपीआई की सुविधा
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपना यूपीआई एप्प एसबीआई पे 24 नवंबर को लॉन्च किया जबकि यूपीआई सुविधा अगस्त के आखिर में ही शुरू हो चुकी थी। नोटबंदी के करीब दो सप्ताह बाद एसबीआई ने अपना यूपीआई एप्प शुरू किया। एसबीआई से पहले प्राइवेट बैंक एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक ने अपने यूपीआई बेस्ड एप्प शुरू कर दिए थे। नोटबंदी के बाद डिजीटल पेमेंट प्लेटफॉर्म की जरूरत बढ़ गई है। पेटीएम, फ्री चार्ज, मोबीक्विक और रु पे जैसे डिजीटल पेमेंट प्लेटफॉर्म के जरिए अब ज्यादा से ज्यादा लोग पैसों का लेन-देन कर रहे हैं।
इन 5 बैंकों ने अभी तक यूपीआई सुविधा नहीं की शुरू
वहीं इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक, सिंडीकेट बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, पंजाब और सिंध बैंक अभी तक यूपीआई में शामिल नहीं हुए हैं। नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के एमडी एपी होता ने बताया कि इन सभी बैंकों को जल्द से जल्द यूपीआई नेटवर्क में शामिल होना पड़ेगा। देशभर के करीब 30 बैंक अभी तक यूपीआई में शामिल हो चुके हैं। यूपीआई नेटवर्क के जरिए इस साल के अंत तक एक मिलियन ट्रांजेक्शन का लक्ष्य रखा गया है। यूपीआई बैंकिंग इंडस्ट्री और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सम्मिलित पहल है।
कैशलेस इकोनोमी में महत्वपूर्ण रोल यूपीआई नेटवर्क का
नोटबंदी डिजीटल बैंकिंग प्लेटफॉर्म और यूपीआई को लागू करने में सहायक हो सकती है। बैंकिंग इंडस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि सरकार इन पांचों बैंकों से इस मामले में पूछताछ कर सकती है। ई कॉमर्स की कंपनियों को भी यूपीआई प्लेटफॉर्म का फायदा मिलेगा। एपी होता ने बताया कि फ्लिपकार्ट यूपीआई प्लेटफॉर्म को लेकर अपनी टेस्टिंग कर रही है। एमेजन भी इसको जल्द ही ज्वाइन करेगी। यूपीआई सुविधा के जरिए यूजर का एक वचुर्वल पेमेंट एड्रेस बन जाता है। इसको वो किसी भी बिल का भुगतान करने, काउंटर पेमेंट, बारकोड बेस्ट पेमेंट, डोनेशन और स्कूल की फीस देने के लिए भी यूज कर सकता है।
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