सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में इन छात्रों ने कहा है कि संदिग्ध सवालों की जगह सभी अभ्यार्थियों को पूरे मार्क्स दिए जाएं। साथ ही मेरिट लिस्ट को फिर से तैयार किया जाए। इन छात्रों में ज्यादा नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि यूपीएससी की मेन परीक्षा अक्टूबर में ही होनी है।
आपको बता दें कि जून में आयोजित यूपीएससी प्री की परीक्षा में करीब 4 लाख 63 हजार उम्मीदवार बैठे थे और इस परीक्षा का रिजल्ट जुलाई में आ चुका है और मेरिट भी तैयार की जा चुकी है। नतीजों के बाद 56 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के वकील सत्यमित्र के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि प्रश्नपत्र में चार सवालों के संदिग्ध होने की वजह से सभी ने इन सवालों के जवाब नहीं दिए थे, जिस वजह से उन्हें 8 मार्क्स का नुकसान हुआ है।
आपको बता दें कि यूपीएससी की प्री परीक्षा में सही उत्तर के लिए 2 अंक दिए जाते हैं, लेकिन गलत जवाब देने पर नेगेटिव मार्किंग के तहत प्रति उत्तर 0.67 अंक काटे जाते हैं। अगर ये 56 छात्र उन चारों संदिग्ध सवालों के जवाब देते तो उत्तर कुंजी के हिसाब से इनके जवाब गलते होते और छात्रों को 8 नंबर का नुकसान हो जाता।
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