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Haryana के बाद Uttarakhand के किसान कृषि मंत्री से मिले, कृषि कानूनों का किया समर्थन

locationनई दिल्लीPublished: Dec 13, 2020 10:42:58 pm

Submitted by:

Mohit sharma

कृषि कानूनों के विरोध के बीच कृषि मंत्री से मिले उत्तराखंड के किसान
किसानों ने कृषि मंत्री से कानूनों को लेकर दबाव में न आने को कहा

Haryana के बाद Uttarakhand के किसान कृषि मंत्री से मिले, कृषि कानूनों का किया समर्थन

Haryana के बाद Uttarakhand के किसान कृषि मंत्री से मिले, कृषि कानूनों का किया समर्थन

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों ( Agricultural laws ) को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच आरपार की लकीर खिंचती नजर आ रही है। एक ओर सरकार ने जहां कृषि कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया है, वहीं किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक कानूनों की वापसी नहीं होगी, वो तब तक वापस नहीं जांएगे। इस बीच हरियाणा के बाद अब उत्तराखंड के दर्जनों किसानों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ( Agriculture Minister Narendra Singh Tomar ) से मुलाकात कर नए कानूनों का समर्थन किया है। उत्तराखंड के किसानों का कहना है कि सितंबर में बने तीनों कानून कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होंगे। किसानों ने कृषि मंत्री तोमर के साथ बैठक भी की। तोमर ने बैठक खत्म होने के बाद मीडिया से कहा कि उत्तराखंड से आए किसान भाई मुझसे मिले और उन्होंने कृषि सुधार बिलों को समझा और राय दी। भारत सरकार की ओर से सभी किसान भाइयों का आभार व्यक्त करता हूं। किसानों के लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं।

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‘कानूनों को वापस लेने की कोई आवश्यकता नहीं’

उत्तराखंड के किसान नेताओं ने कृषि मंत्री को बताया कि तीनों कानून सरकार ने किसानों के हित में बनाए हैं। सुधार भले हो सकते हैं, लेकिन कानूनों को वापस लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। उत्तराखंड के किसानों ने सरकार से इस मसले पर दबाव में न आने की अपील की। इससे पूर्व हरियाणा के प्रगतिशील किसानों ने भी कृषि मंत्री से भेंटकर तीनों कानूनों का समर्थन किया था। आपको बता देें कि इससे पहले और भी कुछ किसान संगठन कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। जिसके बाद केंद्र सरकार ने कानूनों को वापस न लेकर उनमें केवल संशोधन करने की ही हामी भरी है। हालांकि किसान नेताओं का कहना है कि जब सरकार कानून में 14 संशोधन करने को तैयार है तो इसका मतलब बिल किसान हित में नहीं है। ऐसे में कानूनों की वापसी ही सबसे अच्छा विकल्प है।

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वार्ता में कोई हल नहीं निकल सका

सितंबर में बने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के किसानों की ओर से आंदोलन चल रहा है। लगातार 18 दिनों से दिल्ली सीमा का किसानों ने घेराव किया है। सिंघू बॉर्डर पर कई किसान संगठनों से जुड़े किसान डटे हैं। उधर, यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर भी पश्चिमी यूपी के किसान आंदोलन चला रहे हैं। सरकार के साथ अब तक पांच बार हुई वार्ता में कोई हल नहीं निकल सका है। किसान संगठनों ने 14 दिसंबर को भूख हड़ताल की चेतावनी दी है।

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