कृषि बिलों पर विरोध के बीच सरकार ने महज 48 घंटे में खरीदी 10.53 करोड़ की फसल
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उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश सरकार गैर-बासमती चावलों की विभिन्न किस्मों की फसलों को नहीं खरीदती है जबकि हरियाणा सरकार इन उपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदती है। इसी कारण हर वर्ष यूपी के बहुत से किसान अपनी फसल बेचने हरियाणा आते हैं।
स्थानीय प्रशासन ने कहा, स्थानीय किसानों को मिलनी चाहिए वरीयता
इस पूरे मुद्दे पर हरियाणा सरकार ने कहा कि कृषि उपज बेचने के लिए हरियाणा सरकार ने एक पोर्टल बनवाया है, उस पर किसानों को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और उसके बाद उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना होगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव (खाद्य व नागरिक आपूर्ति) पीके दास ने बताया कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जो दूसरे राज्यों के किसानों पर हरियाणा में आकर अपनी उपज बेचने से रोकता है। इसके लिए किसानों को सरकारी पोर्टल पर अपनी डिटेल भरनी होगी। इसके बाद उन्हें SMS के जरिए एक तारीख दी जाती है। उस दिन वो यहां आकर अपनी फसल बेच सकते हैं। वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पहले स्थानीय किसानों को वरीयता दी जाए, हालांकि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार हरियाणा सरकार का यह प्रयास मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयकों के उलट है जिसमें किसानों को कहीं भी किसी भी मूल्य पर अपनी फसल बेचने की अनुमति दी गई है। किसानों के अनुसार हरियाणा सरकार इस तरह किसानों के विरुद्ध कदम उठा रही है।
सीएम एमएल खट्टर ने दिया बड़ा बयान
भाजपा शासित राज्य हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कृषि विधेयकों को किसानों के लिए बेहतर बनाते हुए कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस को किसानों की इतनी ही चिंता है तो कांग्रेस शासित राजस्थान तथा पंजाब में सरकार क्यों किसानों से बाजरा और मक्का को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रही है। यदि हम उनकी फसल खरीदेंगे तो यह हरियाणा के किसानों के हितों पर कुठाराघात होगा।
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सोनिया गांधी ने कांग्रेसशासित राज्यों को दी बिल लागू न करने की सलाह
कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेसशासित राज्यों को कृषि विधेयकों को लागू नहीं करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को शोषण होगा और वे नुकसान में रहेंगे।