script1947 में भारतीय सैनिकों को श्रीनगर पहुंचाने वाले विमान की ‘घर वापसी’ | Aircraft which took Indian troops to Srinagar in 1947, comes home | Patrika News
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1947 में भारतीय सैनिकों को श्रीनगर पहुंचाने वाले विमान की ‘घर वापसी’

17 अप्रैल को यूनाइटेड किंगडम से अपनी उड़ान शुरू करने के बाद डेकोटा ‘डीसी -3 यानी परशुराम’ 25 अप्रैल को भारतीय जमीन पर उतरेगा।

नई दिल्लीApr 25, 2018 / 02:40 pm

Siddharth Priyadarshi

dacota
नई दिल्ली। द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल हो छुए डेकोटा विमान की भारत में घर वापसी की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। इस विमान ने भारत की आजादी के ठीक बाद 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर संघर्ष के दौरान भारतीय सैनिकों को श्रीनगर में ले जाने के दौरान महत्वपूर्ण भमिका निभाई थी।
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लगभग मृत हो चुके इस विमान की घर वापसी भारत के लिए बेहद यादगार पल है। 17 अप्रैल को यूनाइटेड किंगडम से अपनी उड़ान शुरू करने के बाद डेकोटा ‘डीसी -3 यानी परशुराम’ 25 अप्रैल को भारतीय जमीन पर उतरेगा। यह इस विमान की उड़ान संख्या 905 होगी। आपको बता दें कि यह वही विमान है जिसने जम्मू कश्मीर में सैनिकों को पहुंचाया था। 27 अक्टूबर 1947 को कश्मीर संघर्ष के दौरान श्रीनगर में पहली सिख रेजिमेंट इस विमान से श्रीनगर में उतारी गई थी।
राजीव चंद्रशेखर का भगीरथ प्रयास

राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर के हस्तक्षेप से इस विमान को स्क्रैप से निकाला गया और वापस रख रखाव कर उड़ने के लायक बनाया गया। यह विमान अपने समय के सबसे बहुमुखी परिवहन विमानों में से एक माना जाता है। यह 25 अप्रैल को गुजरात में जामनगर में उतरेगा। चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने इस वर्ष फरवरी में राजीव चंद्रशेखर से विमान को आईएएफ में औपचारिक रूप से शामिल करने का निवेदन स्वीकार कर लिया था। आईएएफ ने अपने नेविगेशन सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए रिफलाइट एयरवर्क्स लिमिटेड लंदन के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। स्क्रैप से निकले जाने के बाद बहाली की तैयारी पूरी होने के बाद यह विमान परीक्षण उड़ानों के अधीन था और उड़ान के लिए फिट घोषित किये जाने पर उसने भारत की यात्रा शुरू की।
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भारतीय वायुसेना और मैसर्स रिफलाइट एयरवर्क्स लिमिटेड के संयुक्त दल द्वारा डकोटा को भारत भेजा जा रहा है। 17 अप्रैल को विमान ने अपनी वापसी यात्रा शुरू की। अपनी वापसी यात्रा में इस विमान ने फ्रांस, इटली, ग्रीस, जॉर्डन में निर्धारित समय तक हाल्ट भी किया है। अब यह मस्कट से जामनगर तक अपनी यात्रा के अंतिम चरण पर है।
बता दें कि डकोटा डीसी -3 का एक बड़ा बेड़ा 1988 तक आईएएफ में कार्य करता था। 1944 में बनाया गया यह विमान रॉयल वायु सेना के साथ विभिन्न नागरिक एयरलाइंस द्वारा भी संचालित किया गया। तत्कालीन रॉयल इंडियन वायुसेना के मुख्य विमान के रूप में डेकोटा को 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत के लिए कश्मीर घाटी को बचाने के क्रम में गेम चंगेर की भूमिका में रखा जाता है।

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