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गुजरात का नरोदा पाटिया नरसंहार: जानिए कब-कब, क्या-क्या हुआ

गुजरात के ‘नरोदा नरसंहार’ की पूरी कहानी, जानिए कब-कब, क्या-क्या हुआ था।
 

नई दिल्लीApr 20, 2018 / 08:52 am

Kiran Rautela

naroda
नई दिल्ली। गुजरात में 2002 में हुए नरोदा पाटिया नरसंहार केस का आज अहम दिन है। नरोदा पाटिया में हुए सांप्रदायिक दंगे मामले में हाईकोर्ट आज अहम फैसला सुना सकता है। बता दें कि स्पेशल कोर्ट ने इस केस में बीजेपी विधायक माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 32 को दोषी करार दिया था।
इस केस में अगस्त 2012 में विशेष अदालत ने इस मामले में राज्य की पूर्व मंत्री डॉ माया कोडनानी को 28 वर्ष की कैद, विहिप नेता बाबू बजरंगी को आजन्म कैद, आठ को 31 वर्ष की कैद तथा 22 को 14 वर्ष की उम्र कैद उम्र कैद की सजा सुनाई थी। वहीं इसी मामले में 29 अन्य को बरी कर दिया गया था।
जानें पूरा मामला-

गुजरात में 28 फरवरी 2002 में भयानक दंगें हुए थे। गुजरात के अहमदाबाद में स्थित नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। ये एक बड़ा नरसंहार था। यहीं नहीं इस हादसे में कई लोग घायल भी हुए थे जिनकी संख्या 33 बताई गई थी।
मामले में अगस्त 2012 में विशेष अदालत ने इस मामले में राज्य की पूर्व मंत्री डॉ माया कोडनानी को 28 वर्ष की कैद, विहिप नेता बाबू बजरंगी को आजन्म कैद, आठ को 31 वर्ष की कैद तथा 22 को 14 वर्ष की उम्र कैद उम्र कैद की सजा सुनाई थी। वहीं इसी मामले में 29 अन्य को बरी कर दिया गया था। ये नरसंहार गोधरा ट्रेन कांड के अगले दिन ही हुआ था।
अगस्त 2009 में शुरू हुई सुनवाई

नरोदा पाटिया कांड पर सुनवाई अगस्त 2009 में शुरू हुआ था। जिसमें 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए थे। वहीं सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत भी हो गई थी। बता गें कि अदालत ने 327 लोगों के बयान दर्ज किए। जिनमें पत्रकार, पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और कई सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।
इस मामले में सभी दोषियों ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है। वहीं राज्य सरकार के साथ-साथ मामले की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) व पीडि़तों ने भी अपील याचिका दायर की है। राज्य सरकार, एसआईटी व पीडि़तों ने इस मामले में बरी को सजा दिए जाने तथा और दोषियों को ज्यादा सजा दिए जाने को लेकर अपील याचिका दायर की है।

तीन खंडपीठ ने सुनवाई से किया था इनकार
न्यायाधीश देवाणी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ से पहले तीन खंडपीठों ने इस मामले में अपील याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार किया था। पहले न्यायाधीश के. एस. झवेरी व न्यायाधीश जी. बी. शाह, इसके बाद न्यायाधीश एम आर. शाह व न्यायाधीश के. एस. झवेरी तथा इसके बाद न्यायाधीश अकील कुरैशी व न्यायाधीश बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई से इनकार किया था।

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