देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी माने जाने वाली सीबीआई के अधिकारियों पर जब सवाल खड़े हुए तो देशभर में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा गया। लेकिन जल्द आलोक वर्मा की वापसी हो गई, लेकिन ये वापसी भी चंद घंटों की ही साबित हुई। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मात्र दो दिन बाद पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली एक हाई पावर सेलेक्शन कमेटी ने आलोक वर्मा को सीबीआई से हटाने का फैसला ले लिया।
इस फैसले ने अपने पीछे कई सवाल छोड़ दिए। दरअसल सरकार पर विपक्ष का दबाव लगातार बढ़ रहा था ऐसे में चुनाव नजदीक होने के चलते सरकार की किसी भी तरह की जोखिम नहीं लेना चाहती थी। लिहाजा वर्मा को फायर सर्विसेस में भेजने का निर्णय ले लिया गया। सीबीआई चीफ पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा का गुस्सा फूट पड़ा।
वर्मा ने कहा कि उन्हें झूठे, अप्रमाणित और बेहद हल्के आरोपों को आधार बनाकर ट्रांसफर किया गया है। ये आरोप उस एक शख्स ने लगाए हैं, जो उनसे द्वेष रखता है। आपको बता दें कि सीबीआई यानी केंद्रीय जांच ब्यूरो निदेशक पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा को अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड का महानिदेशक बनाया गया है।
खास कमेटी के पैनल ने पाया कि सीवीसी ने आलोक वर्मा पर गंभीर टिप्पणियां की हैं। पैनल को लगा कि आलोक वर्मा जिस तरह के संवेदनशील संस्था के प्रमुख थे, उन्होंने वैसा आचरण नहीं किया। पैनल के मुताबिक सीवीसी को लगा है कि मोइन क़ुरैशी मामले में आलोक वर्मा की भूमिका संदेहास्पद है। आईआरसीटीसी केस में सीवीसी को ये लगा है कि जानबूझकर वर्मा ने एक नाम हटाया है। वहीं सीवीसी को कई दूसरे मामलों में भी शर्मा के खिलाफ सबूत मिले हैं। फिलहाल उन्हें डीजी फायर सर्विसेज़, सिविल डिफेंस और होमगार्ड का बनाया गया है।