नीले से भगवा हुई प्रतिमा दरअसल, जो नई प्रतिमा लगाई गई थी वो नीले रंग की ना होकर भगवा रंग की थी। जिससे योगी सरकार एक बार फिर कटघरे में आ गई। रविवार को स्थानीय लोगों व पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में इस भगवा प्रतिमा का अनावरण किया गया। विपक्ष ने भगवा रंग की प्रतिमा को देखकर बीजेपी पर खूब वार किए। लेकिन जब सच्चाई सामने आई तो पता चला कि मामला कुछ और ही है।
बसपा नेताओं ने की थी पसंद बताया जा रहा है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की भगवा वाली ये प्रतिमा बसपा के स्थानीय नेताओं ने ही पसंद की थी। बसपा के जिलाध्यक्ष ने नई प्रतिमा के रूप में भगवा रंग में रंगी मूर्ति को पसंद किया था जिसे
आगरा से मंगवाया गया था और स्थानीय लोगों की सहमति से ही इसी लगाया गया था।
प्रशासन के कटघरे में आते ही बसपा सामने आई और अपना बयान देना शुरु कर दिया। बसपा के जिलाध्यक्ष ने साफ-साफ कहा कि ये प्रतिमा उनकी सहमती से लगाई गई है। जिसके लिए पहले ही एक पत्र जारी कर दिया गया था।
प्रशासन पर उठे कई सवाल हालांकि कुछ ही घंटों के अंदर बाबा साहेब भीमराव की मूर्ति को भगवा रंग से वापस नीले रंग में रंग दिया गया था। आरोप -प्रत्यारोप के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता ने खुद कहा कि इसमें प्रशासन का कोई हाथ नहीं है। हमेशा कि तरह इसमें भी विपक्ष की कोई कहानी है। लेकिन विपक्ष ने भी अपने सुर तेज करते हुए कहा कि जब प्रतिमा टूटी तो प्रशासन खुद प्रतिमा लगाने सामने क्यों नहीं आया, उसने और पार्टियों का सहारा क्यों लिया।