घटना के कुछ घंटे बाद रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा अमृतसर पहुंच गए थे। उन्होंने रेलवे की चूक को खारिज करते हुए कहा था कि जहां पर यह घटना हुई वहां रेलवे ट्रैक मोड़ पर है। ऐसे में ड्राइवर को पहले से ही भीड़ को देख लेना संभव ही नहीं था। इसलिए ड्राइवर पर यह आरोप लगाना कि उससे चूक हुई है गलत है। साथ ही उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया था कि न तो स्थानीय प्रशासन ने और न ही कार्यक्रम के आयोजकों ने इस बात की जानकारी दी थी कि रेलवे पटरी के साथ रावण दहन के समय हजारों की संख्या में लोग होंगे।
इससे पहले अमृतसर में जोड़ा रेलवे फाटक शुक्रवार शाम को रावण दहन के दौरान जिस ट्रेन की चपेट में ट्रैक पर खड़े सैकड़ों लोग आ गए, उस ट्रेन के आने से 30 सेकंड पहले एक और रेलगाड़ी वहां से गुजरी थी। हालांकि वह ट्रेन दूसरी दिशा से आ रही थी और इस वजह से कोई घटना नहीं हुई। लेकिन दूसरी ट्रेन जिसकी स्पीड तेज थी की चपेट में आने से लोग बच नहीं सके और इसके बाद वहां मातम पसर गया। घटना के बाद चारों तरफ शवों के टुकड़े बिखरे पड़े थे। इस ट्रेन के आने से 30 सेकंड पहले भी एक ट्रेन वहां से गुजरी थी, लेकिन वह दूसरी दिशा से आ रही थी। घटनास्थल से करीब दो किलोमीटर दूर अमृतसर से यह ट्रेन खुली थी और वह हावड़ा जा रही थी। उसकी स्पीड कम थी। इसलिए कोई हादसा वहां नहीं हुआ। हालांकि दूसरी तरफ से ट्रेन आ रही थी, उसकी स्पीड अधिक थी और वह जालंधर से अमृतसर जा रही थी। इसी ट्रेन ने लोगों की अपनी चपेट में ले लिया।
दरअसल, जिस जगह रावण दहन का कार्यक्रम चल रहा था, रेलवे लाइन से उसकी दूरी महज 25 मीटर है। जबकि वहां हजारों की भीड़ जमा थी और रावण के पुतले में आग लगने के बाद पटाखे चल रहे थे। पटाखे तेज आवाज के साथ इधर-उधर फूटने लगे तो लोगों में भगदड़ मच गई और वे ट्रैक की तरफ भागे। ठीक उसी वक्त काल बनकर तेज गति से आ रही ट्रेन वहां से गुजरी और लोगों को अपने चपेट में लेती गई।