दरअसल अमृतसर में जिस वक्त ट्रेन हादसा हुआ, उस समय जोड़ा फाटक के पास रेल पटरियों पर खड़े होकर लोग रावण दहन देख रहे थे। इस वक्त तक लगभग अंधेरा छा चुका था। वहीं दूसरी तरफ जैसे ही रावण जलना शुरू हुआ आस-पास धुआं छा गया। जमकर आतिशबाजी भी होने लगी। इसी दौरान ट्रेन काल बनकर यहां से गुजरी। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ड्राइवर को ट्रैक पर खड़े लोग दिखाई नहीं दिए…इसके जवाब में ड्राइव ने जो कहा वो जानकर आप भी चौंक जाएंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेल ड्राइवर की माने तो रावण जलने की वजह से आसपास काफी धुआं था, देर शाम के चलते अंधेरा भी हो गया था। घटनास्थल पर रोशनी की भी व्यवस्था काफी कम थी। धुएं और कम रोशनी के चलते रेल ड्राइवर को कुछ नहीं दिखाई दिया और एक बड़ा हादसा हो गया। उधर… रेल अधिकारी का भी कहना है कि वहां काफी धुआं था, जिसकी वजह से ड्राइवर कुछ भी देखने में असमर्थ था, इसके अलावा ट्रेन भी घुमावदार मोड़ पर थी।
हादसे के बाद रेलवे का कहना है कि रावण दहन देखने के लिए लोगों का वहां पटरियों पर इकट्ठा होना “साफ तौर पर अतिक्रमण का मामला” था और इस कार्यक्रम के लिये रेलवे की ओर से कोई मंजूरी नहीं दी गई थी। अमृतसर प्रशासन पर इस हादसे की जिम्मेदारी डालते हुए आधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ लिया।