सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि खतरनाक हथियारों से निपटने के लिए सुरक्षा तकनीकों, उपकरणों और प्रणालियों को विकसित करने और सैनिकों को प्रशिक्षण देना होगा। वह हथियारों के इस्तेमाल में भी ‘मेड इन इंडिया’ के पक्षधर हैं। सेना प्रमुख ने कहा था कि मौजूदा समय में भारतीय फौज को और ’यादा प्रोफेशनल बनाने की जरूरत है। आधुनिकीकरण के रास्ते पर चल कर हम अपनी फौज को और सक्षम बना सकते हैं। डीआरडीओ की तरफ से फौज को महत्वपूर्ण मदद मिल रही है। लेकिन अनुसंधान में और तेजी लाने की जरूरत है, ताकि व्यवसायिक तौर पर स्वदेशी हथियार प्रणाली का विकास हो सके। उन्होंने कहा कि रक्षा सौदों में विदेशी देशों पर निर्भरता कम करनी होगी।
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि चीन एक ताकतवर देश है, लेकिन भारत भी कमजोर नहीं। उन्होंने चीन से लगी देश की उत्तरी-सीमा पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया। वह पहली बार भारत, भूटान व चीन से लगे तिराहे डोकलाम पर भारत-चीन गतिरोध के बारे में बोले। यह गतिरोध दो महीने से ज्यादा समय तक चला था। उन्होंने कहा कि उत्तरी सीमा (चीन के साथ) पर ध्यान केंद्रित किया जाना है। हमने लंबे समय से पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान से लगी सीमा) की तरफ ध्यान दिया है। सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि चीन एक शक्तिशाली देश के तौर पर उभरा है, हालांकि वे इसे वैश्विक शक्ति नहीं मानते, पर यकीनन वह एक रीजनल पावर के तौर पर तो उभरा ही है। लेकिन भारत भी कमजोर देश नहीं।
डोकलाम मुद्दे पर सेना प्रमुख ने कहा कि चीनी सैनिकों ने डोकलाम के उत्तरी भाग में अपनी मौजूदगी बनाई हुई है, जो कि चीनी क्षेत्र है। डोकलाम में 2000 से सडक़ निर्माण जारी है, लेकिन चीनी जवान बीते साल जून में भारत-चीन सीमा पर गतिरोध शुरू होने से पहले टोसा नाला के नजदीक आ गए थे और एक सडक़ बनाकर लौट गए। टोसा नाला उत्तर व दक्षिण डोकलाम को बांटता है। भूटानी सैनिक इलाके में गश्त कर रहे थे और यह सब हम अपनी तरफ से देख रहे थे। जून 2017 तक यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया था। हमने महसूस किया कि वे संभवतया पूरे डोकलाम पर दावा करने की कोशिश करेंगे और वहां एक सडक़ निर्माण करेंगे, जिससे इनकी पहुंच रायल भूटानं आर्मी की चौकी तक होगी। यह हमारे सामने खतरा पैदा कर रहा था और यह यथास्थिति को बदल रहा था। जब हमने महसूस किया कि वे आगे सडक़ दक्षिण की तरफ ले जा सकते हैं, तब हम कार्रवाई पर मजबूर हुए। इसी वजह से गतिरोध हुआ। डोकलाम के उत्तरी हिस्से में चीनी सैनिकों की मौजूदगी अब भी बनी हुई है, लेकिन इसमें कमी आई है। इसके साथ ही जनरल रावत ने भारत को भविष्य में साइबर युद्ध के लिए भी तैयार रहने के लिए भी कहा।