
Article 370 and 35A : नई दिल्ली। भारतीय संविधान में धारा 370 एक ऐसा प्रावधान था जो जम्मू-कश्मीर को देश का अंग होते हुए भी देश से अलग मानता था। संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इसका ड्रॉफ्ट तैयार करने से मना कर दिया था जबकि भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसके घोर विरोधी थे। वर्ष 1964 में भी इस धारा को निरस्त करने के प्रयास किए गए थे परन्तु किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो पाया। अंतत: इस धारा को 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने प्रभावहीन कर दिया। आइए जानते हैं कि इस धारा में क्या महत्वपूर्ण था और क्यों कश्मीर की राजनीति में यह अत्यन्त महत्वपूर्ण थी।
इस अनुच्छेद को देश के संविधान में शेख अब्दुल्ला के कहने पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निर्देश पर जोड़ा गया था। यह धारा राज्य को कुछ विशेष अधिकार देती थी, यथा-
पांच अगस्त 2019 को मोदी सरकार द्वारा इस विधेयक को प्रभावहीन किए जाने के बाद अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है और देश के अन्य राज्यों के समान ही जम्मू-कश्मीर भी एक सामान्य राज्य बन गया है जहां पर देश का संविधान, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संसद का कानून एकसमान लागू होता है।
Updated on:
05 Aug 2021 07:40 am
Published on:
04 Aug 2021 07:06 pm
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