सचान ने अदालत को बताया कि आसाराम आश्रम घूमते समय अपने साथ तीन लड़कियां रखता था। वह आश्रम की इन लड़कियों का चयन टॉर्च लाइट मारकर करता था। घूमने के बाद यह तीन लड़कियां उनके साथ उनकी कुटिया में जाती थी। इस दौरान उनके साथ तीन महिला सहयोगी भी होती थी जो इन लड़कियों गर्भपात करवाने का काम करती थी। इससे साफ जाहिर होता है कि आजीवन जेल की सजा पाने वाले आसाराम की नजर में लड़कियों से रेप अपराध नहीं है।
गवाह ने अदालत में इस बात की भी जानकारी दी कि आसाराम अपनी यौन शक्ति बढ़ाने के लिए दवाओं का सहारा लेता था। इसके लिए वह पंचेद बूटी कोडवर्ड कहकर अपनी सहायिकाओं को इशारा करता था। आसाराम के आश्रम से जुड़े राहुल का ये बयान उस 453 पेज लंबे निर्णय का हिस्सा है, जो आसाराम और उसके दो साथियों को करीब 5 साल पहले एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म के आरोप में सजा सुनाने के लिए अदालत की तरफ से लिखा गया था। सचान ने वर्ष 2003 में आसाराम को राजस्थान के पुष्कर, हरियाणा के भिवानी और गुजरात के अहमदाबाद में अपने आश्रमों में लड़कियों का यौन शोषण करते हुए देखा था। सचान ने अदालत को बताया था कि अहमदाबाद में एक शाम को वह आसाराम की कुटिया की दीवार फांदकर अंदर पहुंचा था तो उसे लड़की का यौन शोषण करते हुए पाया था।
सचान ने अदालत को यह भी बताया कि उसने पत्र लिखकर सवाल किया था कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं। उसने अपने पत्र को आसाराम तक रसोइये के जरिए पहुंचाया था। सचान का कहना है कि आसाराम ने पत्र पढ़ने के बावजूद अनदेखा कर दिया था। इसका भी जवाब नहीं मिलने पर जब उसने सीधे आसाराम के पास पहुंचकर ये सवाल किया तो उसने कहा कि ब्रह्मज्ञानी को ये सब करने से पाप नहीं लगता। जब उसने दोबारा पूछा कि ब्रह्मज्ञानी के मन में ऐसी इच्छा कैसे हो सकती है तो आसाराम ने उसे गार्ड से कहकर आश्रम से बाहर करा दिया था। उसके बाद सचान पर वर्ष 2004 में हमला किया गया, जिसकी एफआईआर दर्ज कराने पर भी पुलिस ने सुनवाई नहीं की। 2013 के नाबालिग से यौन शोषण मामले में गवाही देने पर एक बार फिर उस पर हमला किया गया। बरेली से लखनऊ जाकर बस गए सचान इसके बाद से ही गायब चल रहे हैं।