script26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होगी अयोध्या केस की सुनवाई, जस्टिस एसए बोबडे छुट्टी से लौटे | Ayodhya case: Supreme Court to hear the case on February 26, as Justice SA Bobde who is a part of five-judge Constitution bench, returned from leave | Patrika News
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26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होगी अयोध्या केस की सुनवाई, जस्टिस एसए बोबडे छुट्टी से लौटे

अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट 26 फरवरी को करेगी सुनवाई
जस्टिस एसए बोबडे छुट्टी से वापस लौटे
इससे पहले 29 जनवरी को होनी थी सुनवाई

 

नई दिल्लीFeb 20, 2019 / 09:48 pm

Anil Kumar

सुप्रीम कोर्ट जल्द सुना सकता है अयोध्या केस का फैसला

राम मंदिर मामले पर 26 फरवरी को होगी सुनवाई

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत अब 26 फरवरी को सुनवाई करेगी। जस्टिस एसए बोबडे छुट्टी से वापस आ चुके हैं। जस्टिस बोबडे इस मामले में सुनवाई करने वाले पांच जजों की बैंच में शामिल हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई 26 फरवरी को सुबह साढ़े दस बजे से करेगी। पांच जजों इस बैंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं। इससे पहले जस्टिस बोबडे की अनुपस्थिति के कारण बीते माह 27 जनवरी को सुनवाई आगे के लिए टाल दी गई थी।

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29 जनवरी को सुनवाई होनी थी

बता दें कि इससे पहले 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन एक बार फिर से इस पर सुनवाई स्थगित हो गई थी। दरअसल जस्टिस बोबड़े अवकाश पर चले गए थे। 25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने नई बेंच गठित की थी। इसमें जस्टिस बोबड़े, जस्टिस अशोक भूषण और अब्दुल नजीर को शामिल किया था। पांच जजों की बेंच 29 जनवरी को अयोध्या मामले पर सुनवाई करने वाली थी, लेकिन इस सुनवाई को स्थगित कर दी गई थी। आपको बता दें कि 29 जनवरी से पहले 10 जनवरी को राम मंदिर विवाद पर सुनवाई होनी थी। लेकिन सुनवाई तब भी आगे टल गई थी। दरअसल वरिष्‍ठ वकील आरके धवन ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ में जस्टिस यूयू ललित के शामिल होने पर सवाल उठाए थे। धवन ने कहा कि जस्टिस ललित बाबरी मस्जिद विवाद में पूर्व में कल्‍याण सिंह की पैरवी कर चुके हैं। इस पर जस्टिस यूयू ललित ने खुद को पीठ से अलग करने का फैसला कर लिया था। जिसके बाद सीजेआई रंजन गोगोई ने नई बेंच गठित करने के लिए तारीख आगे बढ़ा दी थी।

 

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क्या है पूरा मामला?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पीठ को इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई करनी है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और जिस जगह भगवान राम लला विराजमान हैं, के बीच बांटने का आदेश दिया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाए। जिस जगह रामलला की मूर्ति है वहां रामलला को विराजमान रहने दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए। बाकी की एक तिहाई जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की विवादित जमीन पर हिंदू महासभा ने याचिका दायर कर दी। दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी। इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाईं। कुल 13 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन हैं। सभी याचिकाएं विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर ही है।

 

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