धारा 167 के तहत आरोपी को डिफोल्ट जमानत का अधिकार
गौरतलब है कि यदि जांच एजेंसी गिरफ्तारी के नियत दिनों के अंदर आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाती है तो आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के तहत आरोपी को डिफोल्ट जमानत का अधिकार है। अदालत ने कहा कि “यह कोर्ट निचली अदालत से सहमत है कि एक बार जांच को पूरी करने के लिए अवधि को 21 अप्रैल तक बढ़ा दिए जाने पर अपील करने वाले के लिए सीआरपीसी की धारा 167 के तहत कानूनी रूप से जमानत के लिए अपील करने का मौका तब तक नहीं बनता जब तक एनआईए 21 अप्रैल से पहले आरोप पत्र दाखिल करने में विफल ना रहे।” हालांकि कोर्ट ने यह जरूर स्पष्ट करते हुए कहा कि उसके मौजूदा आदेश से विशेष अदालत में लंबित नियमित जमानत की युसूफ की याचिका पर स्वतंत्र विचार प्रभावित नहीं होना चाहिए।
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क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि सैयद शाहिद युसूफ जम्मू-कश्मीर सरकार का कर्मचारी है। आतंकी फंडिंक के मामले में एनआईए ने पूछताछ के लिए उन्हें बुलाया था और बाद में पिछले वर्ष 24 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि एनआईए ने सैयद के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है, जिसमें युसूफ पर अपने पिता सलाउद्दीन के निर्देश पर एजाज भट से धन जमा करने का आरोप है। एजाज भट श्रीनगर का रहने वाला है जो फिलहाल सऊदी अरब में रहता है। एजाज भट हिजबुल मुजाहिद्दीन का आंतकी है और वर्तमान समय में सलाउद्दीन पाकिस्तान में रह रहा है। आरोप पत्र में यह बताया गया है कि वर्ष 2011 का आतंकवादी वित्त पोषण का मामला जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान और सऊदी अरब स्थित आतंकवादियों द्वारा हवाला के जरिए भेजे गए धन से जुड़ा है। बता दें कि इससे पहले एनआईए ने अन्य 6 आरोपियों के खिलाफ 2011 में आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें से चार लोग हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के करीबी गुलाम मोहम्मद भट और मोहम्मद सादिक गनी, गुलाम जिलानी लिलू व फारूख अहमद डग्गा वर्तमान में दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं।