देना होगा आरटीआई का जवाब
सूचना का अधिकार को लागू हुए 10 वर्ष से अधिक समय बीत गया है। इस कानून के माध्यम से सरकारी कार्यों में पारदर्शिता की संभावनाएं बढ़ी है, लेकिन आज भी कई अधिकारी ऐसे हैं, जो इस कानून का मखौल उड़ाते हैं।
अभिनव राजस्थान के स्थानीय संयोजक डॉ. सोहन चौधरी ने सोमवार को यह बात कही। वे अस्पताल चौराहे के पास अभिनव सूचनालय में अभिनव राजस्थान की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। बैठक में डॉ. सोहन चौधरी ने कहा कि सूचना के अधिकार को इसलिए पारित किया गया था ताकि सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाई जा सके और जनहित से जुड़े कार्यों की जनता को परस्पर जानकारी मिल सके।
उन्होने कहा कि लोकतंत्र में भागीदारी के इस सबसे बड़े अधिकार को सक्रिय रूप से लागू करवाने का पूरा प्रयास किया जाएगा और जनता को हो रही परेशानियों का सम्बधित विभाग से आरटीआई द्वारा जबाब मांगा जाएगा। इस अवसर पर आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश अग्रवाल ने कहा कि अधिकारियों की जनता के प्रति जबाबदेही बनती है। अधिकारियों को सूचना के अधिकार से मांगी गई सूचना का जबाब देना चाहिए, क्योंकि लोकसेवक के नाते उनका कर्तव्य है कि मांगी गई सूचनाएं संबंधित व्यक्ति को उपलब्ध करवाई जाए। एडवोकेट महावीर चतुर्वेदी ने कहा कि अब अधिकारियों का टालमटोल का रवैया नहीं चलेगा। उन्होने बताया कि अभिनव मित्र सकारात्मक सोच के साथ आगे बढक़र एक अभिनव राजस्थान का निर्माण करेगे। बैठक में प्रशासन के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए सूचना के अधिकार 2005 कानून के उपयोग व जनहित से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करने के तरीकों पर चर्चा की गई । बैठक में राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 को भी पूर्ण रूप से लागू करवाने पर चर्चा की गई। इस मौके पर रामाकिशन खीचड़, अशोक सोलंकी, दामोदर प्रसाद होलानी, राहुल रूवटिया, मकसूद खान सहित अनेक आरटीआई कार्यकर्ता उपस्थित थे।