राजस्थान की सीमा से सटा बालुंदरा नाम का गांव है। गांव में डुंगरी भील आदिवासी, राबरी और दलितों की आबादी है। सूत्रों के अनुसार, ग्रामीणों की जानकारी के बिना 827 जॉब कार्ड बना लिए गए। गांव के ही एक व्यक्ति किरन परमार ने इस मामले का खुलासा किया है। परमार को ही इस कथित घोटाले का व्हिसल ब्लोअर भी कहा जा रहा है। परमार का दावा है कि उसके नाम से भी जॉब कार्ड बनाया गया है और इसकी जानकारी उसे नहीं दी गई। सभी 827 जॉब कार्ड उन आधार कार्ड, राशन कार्ड और दूसरे दस्तावेजों के आधार पर जारी किए गए थे, जो ग्रामीणों ने दूसरी अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ग्राम पंचायत कार्यालय में जमा कराए थे।
बालुंदरा के रहने वाले किरन परमार की लॉकडाउन के दौरान नौकरी चली गई। इससे पहले तक वह अहमदाबाद स्थित एक कैफे में काम करते थे। नौकरी छूटने पर गांव आए और जॉब कार्ड का पता किया। परमार के अनुसार, मनरेगा की वेबसाइट पर उन्होंने अपना जॉब कार्ड देखा था। जब मैंने इस बारे में पूछा तो मुझे धमकी दी गई और कार्यालय से बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद उन्होंने कई जगह इसकी शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी से संपर्क किया और उन्हें पूरी बात बताई। परमार का आरोप है कि उनकी मां गीता के नाम पर दो अलग-अलग जॉब कार्ड बनाए गए।
वहीं, गांव के रहने वाले हरिभाई वेसिया का आरोप है कि उनके बेटे भीरा वेसिया की मौत 20 सितंबर 2016 को हो गई थी, लेकिन उसके नाम से भी जॉब कार्ड बनाकर इस्तेमाल में लाया जा रहा है। इसमें 21 सितंबर 2016 और उसके बाद भी भुगतान हुआ। ऐसे कई और मामले हैं, जिसमें लोगों को पता ही नहीं और उनके नाम पर जॉब कार्ड बनाकर सरकारी खजाने से लूट की जा रही है।
बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम 2006 के तहत केंद्र सरकार गांवों में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी देती है। इस कानून के प्रावधानों को ग्राम पंचायत के माध्यम से लागू किया जाता है। इसके क्रियान्वयन में गांव के सरपंच, क्षेत्र के तहसीलदार और ग्राम सेवक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। योजना के तहत संबंधित व्यक्ति को एक साल में 100 दिन का रोजगार दिया जाता है। इसके बदले उसे प्रतिदिन 200 रुपये बतौर मजदूरी मिलते हैं। पूरा लेन-देन बैंक खातों में होता है। जो व्यक्ति इस योजना का लाभ लेना चाहता है, उसे एक जॉब कार्ड के लिए आवेदन करना पड़ता है। जॉब कार्ड में रोजगार और मजदूरी का रिकॉर्ड रखा जाता है।