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गुजरात में बड़ा घोटाला, मृतकों के नाम पर खोले गए कई बैंक खाते!

Highlights.
– बनासकांठा (Banaskantha) के बालुंदरा गांव में ग्रामीणों के नाम से बने 827 जॉब कार्ड, पैसा कोई और निकाल रहा था
– ग्रामीण किरन परमार का आरोप, मेरी जानकारी के बिना मेरे जॉब कार्ड (Job Card) का हुआ इस्तेमाल, पूछने पर दे रहे धमकी
– निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी (Jignesh Mevani) का आरोप, अधिकारियों के अलावा कई भाजपा नेता भी घोटाले में शामिल

Sep 21, 2020 / 01:57 pm

Ashutosh Pathak

job card

गांव वालों के दस्तावेजों के जरिए उनके नाम पर जॉब कार्ड बना लिए गए.

नई दिल्ली।

गुजरात में एक नए घोटाले का खुलासा हुआ है। दावा किया जा रहा है यह घोटाला गुजरात के बनासकांठा में हुआ है। यहां कुछ लोगों ने कथित रूप से ग्रामीणों के दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल किया। आरोप है कि कई गांव वालों के दस्तावेजों के जरिए उनके नाम पर जॉब कार्ड बना लिए गए और इसकी सूचना संबंधित व्यक्ति को नहीं दी गई। आरोपियों ने जॉब कार्ड बनवाकर बड़ी रकम हड़प ली। हालांकि, यह रकम कितनी है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। बनासकांठा के अमीरगढ़ थाने में इस संबंध में एक शिकायत भी दर्ज कराई गई है, जिसकी जांच पुलिस कर रही है।
वडगाम सीट से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी के मुताबिक, यह तो घोटाले के सामने आने की शुरुआत है। मेवाणी ने दावा किया कि ऐसे कई और गांव हैं, जहां ऐसे मामले मिले हैं। इन सबको सामने लाया जाएगा। मेवाणी का आरोप है कि इस घोटाले में ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारियों से लेकर राज्य के कई बड़े भाजपा नेता शामिल हैं। उन्होंने राज्य सरकार को चुनौती दी है कि वह इस घोटाले में अपना हाथ नहीं होने के साक्ष्य पेश करे। मेवाणी का आरोप है कि फर्जी हस्ताक्षर के आधार पर ग्रामीणों के नाम से बैंक खाते खोले गए और इसमें मनरेगा मजदूरी का भुगान किया गया, जिसे बाद में कुछ लोगों ने निकाल लिया। वहीं, सरकार की ओर से इस घोटाले को लेकर अभी स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
दूसरी ओर, राज्य में भाजपा के प्रवक्ता प्रशांत वाला ने मेवाणी के आरोपों को बेबुनियाद और झूठा बताया है। प्रशांत ने मीडिया को भी नसीहत देते हुए कहा कि वह ऐसे किसी भी दावे और आरोपों से दूर रहे। हालांकि, प्रशांत ने यह जरूर कहा कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। चाहे उसके राजनीतिक संबंध किसी से भी हों।
बिना जानकारी 827 जॉब कार्ड जारी हुए
राजस्थान की सीमा से सटा बालुंदरा नाम का गांव है। गांव में डुंगरी भील आदिवासी, राबरी और दलितों की आबादी है। सूत्रों के अनुसार, ग्रामीणों की जानकारी के बिना 827 जॉब कार्ड बना लिए गए। गांव के ही एक व्यक्ति किरन परमार ने इस मामले का खुलासा किया है। परमार को ही इस कथित घोटाले का व्हिसल ब्लोअर भी कहा जा रहा है। परमार का दावा है कि उसके नाम से भी जॉब कार्ड बनाया गया है और इसकी जानकारी उसे नहीं दी गई। सभी 827 जॉब कार्ड उन आधार कार्ड, राशन कार्ड और दूसरे दस्तावेजों के आधार पर जारी किए गए थे, जो ग्रामीणों ने दूसरी अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ग्राम पंचायत कार्यालय में जमा कराए थे।
कहीं नहीं हुई सुनवाई
बालुंदरा के रहने वाले किरन परमार की लॉकडाउन के दौरान नौकरी चली गई। इससे पहले तक वह अहमदाबाद स्थित एक कैफे में काम करते थे। नौकरी छूटने पर गांव आए और जॉब कार्ड का पता किया। परमार के अनुसार, मनरेगा की वेबसाइट पर उन्होंने अपना जॉब कार्ड देखा था। जब मैंने इस बारे में पूछा तो मुझे धमकी दी गई और कार्यालय से बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद उन्होंने कई जगह इसकी शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी से संपर्क किया और उन्हें पूरी बात बताई। परमार का आरोप है कि उनकी मां गीता के नाम पर दो अलग-अलग जॉब कार्ड बनाए गए।
मृत बेटे के नाम पर बना कार्ड
वहीं, गांव के रहने वाले हरिभाई वेसिया का आरोप है कि उनके बेटे भीरा वेसिया की मौत 20 सितंबर 2016 को हो गई थी, लेकिन उसके नाम से भी जॉब कार्ड बनाकर इस्तेमाल में लाया जा रहा है। इसमें 21 सितंबर 2016 और उसके बाद भी भुगतान हुआ। ऐसे कई और मामले हैं, जिसमें लोगों को पता ही नहीं और उनके नाम पर जॉब कार्ड बनाकर सरकारी खजाने से लूट की जा रही है।
क्या है जॉब कार्ड
बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम 2006 के तहत केंद्र सरकार गांवों में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी देती है। इस कानून के प्रावधानों को ग्राम पंचायत के माध्यम से लागू किया जाता है। इसके क्रियान्वयन में गांव के सरपंच, क्षेत्र के तहसीलदार और ग्राम सेवक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। योजना के तहत संबंधित व्यक्ति को एक साल में 100 दिन का रोजगार दिया जाता है। इसके बदले उसे प्रतिदिन 200 रुपये बतौर मजदूरी मिलते हैं। पूरा लेन-देन बैंक खातों में होता है। जो व्यक्ति इस योजना का लाभ लेना चाहता है, उसे एक जॉब कार्ड के लिए आवेदन करना पड़ता है। जॉब कार्ड में रोजगार और मजदूरी का रिकॉर्ड रखा जाता है।

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