केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने ‘पत्रिका’ से विशेष बातचीत में कहा है कि अभी अगले कुछ दिन तक और मामले सामने आ सकते हैं। लेकिन अब तक
जीका के सभी मरीजों पर इलाज पूरी तरह असर कर रहा है। एक भी मामले में स्थिति काबू से बाहर नहीं गई है। प्रसार को रोकने के लिए जहां पहला मामला सामने आया था, उसके तीन किलोमीटर के दायरे में सभी घरों की निगरानी की जा रही है। उधर, एनसीडीसी (राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र) में स्थिति पर लगातार नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है।
जीका के डंक से भी नहीं टूटी सरकार की नींद एनसीडीसी के अलावा राष्ट्रीय मलेरिया शोध संस्थान (एनआईएमआर), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइसीएमआर) और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) के विशेषज्ञ इस पर लगातार नजर रख रहे हैं। अब तक सामने आए मामलों में से 11 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक राजस्थान को जीका मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड बढ़ाने को कहा गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन से पत्रिका की विशेष बातचीत
सवालः जीका का अब तक का सबसे बड़ा हमला है। सरकार इसे काबू करने में क्यों नाकाम हो रही है? जवाबः यह नाकामी नहीं है। दरअसल, संक्रमण की अवधि एक सप्ताह तक होती है। हमारी पूरी कोशिश है कि यह मामले बाहर के इलाके में नहीं फैलें। इसके लिए सारे प्रयास किए जा रहे हैं।
राजपूत हॉस्टल के जिस इलाके में पहला मामला पाया गया उसकी तीन किलोमीटर की परिधि में पूरे इलाके के 58 हजार घरों की निगरानी की जा रही है। इस इलाके में मच्छर इतने अधिक हैं। यहां मच्छरों के पनपने की 40 हजार जगहें पाई गई हैं। फ्यूमिगेशन बहुत बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इस इलाके में 258 निगरानी दल काम कर रहे हैं। साथ ही लोगों में जागरुकता भी लाई जा रही है।
सवालः इसका प्रसार रोकने के लिए क्या रणनीति है? जवाबः हमारा सबसे ज्यादा जोर है संक्रमण बाहर न जाए और लोगों में खौफ न फैले। गर्भवती महिलाओं की विशेष निगरानी की जा रही है। लोगों में इस बात की ज्यादा से ज्यादा जागरुकता लानी है कि वे मच्छरों को पनपने से पूरी तरह रोकें। अगर आस-पास कोई ऐसी स्थिति है तो निगम को बताएं।
सवालः यह खतरा दूसरे इलाकों में फैलने का कितना डर है? जवाबः सारे देश में एडवाइजरी जारी कर दी गई है। इसमें बताया गया है कि उन्हें क्या-क्या कदम उठाने हैं। सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि वे पूरी सतर्कता रखें।
सवालः क्या राज्य से डॉक्टर आदि का कोई विशेष सहयोग मांगा गया है? जवाबः वहां से मांग आने से पहले ही हमारी टीम पहुंचनी शुरू हो गई। एनसीडीसी, ईएमआर राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के विशेषज्ञ भेजे हैं। इसकी कोई विशेष दवा नहीं, यह भी बुखार ही है। दिक्कत तब होती है, जब कोई मामला बहुत बिगड़ने लगता है। लेकिन अब तक ऐसा एक भी मामला नहीं आया है।
फ्यूमिगेशन और मच्छरों के लार्वा को मारने वाली दवा के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के धन का इस्तेमाल करने की भी इजाजत दे दी गई है। सवालः क्या इसे महामारी कहा जा सकता है?
जवाबः अभी तक यह बहुत छोटे इलाके में ही है। यह जीका का स्थानीय प्रसार है। महामारी नहीं है।