मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक
बेगूसराय निवासी भव्या कुमारी ने वर्ष 2017 में 10वीं की परीक्षा दी थी। जब जुलाई 2017 में परीक्षा परिणाम आया तो उसे अपने अंक उम्मीद से कुछ कम लगे। इसके बाद भव्या ने दोबारा अपनी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए स्क्रूटनी का आवेदन किया।
केरल बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए झारखंड हाईकोर्ट का अनोखा तरीका, जमानत के लिए राहत कोष में रकम दो उसने हिंदी, सोशल साइंस और संस्कृत की कॉपी की जांच दोबारा होने की मांग की। भव्या के वकील के मुताबिक मार्च 2018 में भव्या को तीनों उत्तर पुस्तिकाओं की छायाप्रति उपलब्ध करवाई गई। इनमें अंक की कमी देखने के बाद भव्या ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि हिंदी की कॉपी में तीन उत्तर जबकि संस्कृत और सोशल साइंस की कॉपी में एक-एक उत्तर का मूल्यांकन नहीं किया गया था। वहीं, वकील का कहना है कि बोर्ड ने केवल एक ही उत्तर के अंक जोड़े जाने की सहमति दी थी।
केरलः सरकार के पास है ‘ईश्वर के घर’ को फिर से बसाने का मौका परीक्षा परिणाम में संशोधन के बाद भव्या को हिंदी की कॉपी में 2 नंबर के एक उत्तर के लिए एक अंक दिया गया। इसके बाद अब भव्या के कुल अंक 500 में से 465 हो गए हैं और यह वर्ष 2017 में टॉपर छात्र के अंकों के ही बराबर हैं।
गौरतलब है कि बिहार बोर्ड के टॉपर्स को लेकर पिछले कुछ सालों से काफी विवाद रहा है। जबकि बोर्ड परीक्षाओं में कथितरूप से जमकर नकल होने की खूब खबरें भी सामने आती रही हैं।