शहर की कई आवासीय और मुख्य मार्गों पर बसी कॉलोनियों में मकानों को आगे भारी भरकम ऊंचे रैम्प बना दिए हैं। इससे कई मार्ग संकरे हो गए और इन पर चलने वाला यातायात दुर्घटनाओं का शिकार हो रहा है। सड़कों तक रैम्प के यह कब्जे एजेंसियों को नजर नहीं आते।
-शहर में सर्कुलर रोड पर आज अधिकांश टै्रफिक गुजरता है। इस वजह से इस सड़क को सीसी रोड के रूप में विकसित किया गया। सड़क निर्माण के दौरान डिवाइडर पर पौधे लगाने का मुद्दा प्रमुखता से उठता रहा। लेकिन सड़क पूरी बन गई और हरियाली विकसित नहीं की जा सकी। इस सड़क के दोनों ओर एक भी पेड़ नगर निगम अथवा यूआईटी द्वारा नहीं लगवाया गया है।
-हीरादास से सेवर जाने वाले मार्ग को यूआईटी ने हाल ही में नया बनाया है लेकिन इस पर भी हरियाली के लिए पौधे लगाने का काम भूल गई।
-बिजलीघर चौराहे से सारस चौराहे तक बनी सड़क को यूआईटी ने गौरव पथ का नाम दिया पर सड़क के दोनों ओर एक भी पेड़ या पौधा नहीं है।
-यातायात चौराहे से लेकर मल्टीपरपज स्कूल तक सड़क भी वीआईपी मूवमेंट के कारण यूआईटी की नजर में है। इसके डिवाइडर टाइल्स से ढंक दिए गए।
-सर्किट हाउस से एमएसजे कॉलेज मार्ग का निर्माण चालू है। इस पर डिवाइडर के रूप मे लोहे की जालियां लगा दी गई हैं लेकिन हरियाली के लिए एक भी पौधा यहां नहीं लगाया।
-रेलवे स्टेशन से रेडक्रॉस सर्किल मार्ग बाहर से आने वाले लोगों के लिए शहर का परिचय कराता है। यहां डिवाइडर की मरम्मत का काम भी नहीं हो पाता तो हरियाली विकसित करना दूर की कौड़ी है।