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कोरोना संकट के बीच बढ़ी Blood Plasma की डिमांड, गंभीर रोगियों के इलाज में मिल रही मदद

कोरोना संकट के बीच गंभीर रोगियों के इलाज में किया जा रहा Blood Plasma का इस्तेमाल
प्लाज्मा थेरेपी से मरीज की रिकवरी में हो आ रही तेजी
हालांकि आईसीएमआर के मुताबिक प्लाज्मा थेरेपी मौत रोकने में कारगर नहीं

Sep 29, 2020 / 02:50 pm

धीरज शर्मा

कोरोना संकट के बीच बढ़ी ब्लड प्लाज्मा की डिमांड

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना संकट के बीच गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। यही वजह है कि ब्लज प्लाज्मा ( Blood Plasma ) की डिमांड बढ़ गई है। दरअसल गंभीर मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाकर रिकवर करने की प्रक्रिया में तेजी आई है। ऐसे में ब्लड प्लाज्मा की डिमांड पहले से ज्यादा हो गई है। भले ही आईसीएमआर इसको लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कह रहा है लेकिन राजधानी दिल्ली से लेकर पुणे, लखनऊ समेत कई शहरों में प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कोविड-19 के मरीजों को रिकवर किया जा रहा है।
मरीजों की रिकवरी के चलते ही ब्लड प्लाज्मा की डिमांड भी तेजी से बढ़ी है। खास तौर पर निजी अस्पतालों में ब्लाड प्लाज्मा की काफी मांग है।

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कोरोना मरीजों में जल्दी रिकवरी के लिए ज्यादा ब्ल्ड प्लाज्मा मंगाए जा रहे हैं, ताकि मरीजों को तत्काल इसे चढ़ाया जा सके। झारखंड के रिम्स अस्पताल में भी ब्ल्ड प्लाज्मा की मांग काफी बढ़ गई है। हालांकि यहां इतने प्लाज्मा बैंक में नहीं हैं, जो उन्हें तत्काल प्रॉसेस कर दिए जा सकें।
ऐसे में परिजनों को निराशा ब्लड प्लाज्मा बाहर से मंगाने पड़ रहे हैं। या फिर डोनरों को ढूंढा जा रहा है।

पुणे में प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाई
ब्लड प्लाज्मा डोनेशन को बढ़ावा देने के लिए पुणे में बढ़ावा देने के लिए पुणे डिवीजन में ब्ल्ड प्लाज्मा संग्रह प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाकर 36 कर दी गई है।
36 प्रयोगशालाओं में से पुणे जिले में 21, इसके बाद सोलापुर में सात, सांगली में पांच, कोल्हापुर में दो और सतारा में एक है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के आंकड़ों के मुताबिक, 1,451 दानदाताओं ने 2,955 ब्लड प्लाज्मा इकाइयां दान की हैं, जिनमें से पुणे जिले में 19 सितंबर तक पहले ही 2,674 गंभीर रोगियों पर इस्तेमाल किया जा चुका है।
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वहीं राजधानी दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कोरोना के गंभीर मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को भी प्लाज्मा थेरेपी के जरिए ही कोरोना को मात देने में मदद मिली। वहीं मौजूदा समय में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री को साकेत अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी दी गई है।
आईसीएमआर ने कहा नहीं है कारगर
हालांकि आईसीएमआर का कहना है कि प्लाज्मा थैरेपी कोरोना मरीजों की मौत रोकने में कारगर नहीं है। ICMR के मुताबिक, यह मरीज की बिगड़ती हालत को रोकने में भी मदद नहीं करती है। 14 राज्यों के 39 अस्पतालों में 464 मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी का ट्रायल किया गया है। ICMR की रिसर्च कहती है, प्लाज्मा थैरेपी से थोड़ा ही फायदा हुआ है।
क्या होती है प्लाज्मा थेरेपी
कोविड-19 से पूरी तरह उबर चुके मरीज का प्लाज्मा लेकर कोरोना के नए मरीजों में चढ़ाया जाता है ताकि इनमें भी एंटीबॉडीज बन सकें और कोरोना से लड़ सकें। इस थैरेपी का इस्तेमाल भारत के अलावा अमेरिका, स्पेन, दक्षिण कोरिया समेत कई देशों में किया जा रहा है।
ऐसे लिया जाता है ब्लड प्लाज्मा
इंसान के खून में कई चीजें शामिल होती हैं। इनमें से एक होता है ब्ल्ड प्लाज्मा। ब्ल्ड डोनेशन के दौरान व्यक्ति करीब 300ml रक्तदान करता है, लेकिन प्लाज्मा डोनेशन में व्यक्ति को एक बार उपयोग में आने वाली एफेरेसिस किट के साथ एफेरेसिस मशीन से जोड़ देते हैं। ये मशीन प्लाज्मा को छोड़कर खून की सभी कंपोनेंट्स को वापस शरीर में डाल देती है।

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