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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, ऑनर किलिंग को संज्ञेय अपराध बनाया जाएगा

‘ऑनर किलिंग’ को दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला तुरंत शुरू हो सके। इसके लिए सरकार जल्द ही नया कानून पारित करने वाली है।

Mar 07, 2018 / 10:07 pm

Chandra Prakash

Honor killings
नई दिल्ली। ‘ऑनर किलिंग’ (तथाकथित सम्मान के नाम पर हत्या) को केंद्र सरकार अब संज्ञेय अपराध की श्रेणी रखने जा रही है। जिससे तत्काल पुलिस कार्रवाई हो और दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला तुरंत शुरू हो सके। इसके लिए सरकार जल्द ही नया कानून पारित करने वाली है। सरकार ने इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी है।
केंद्र ने 23 राज्यों को भेजा विचार
केंद्र ने बुधवार को सुप प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की खंडपीठ को बताया कि प्रस्तावित ‘वैवाहिक गठबंधन की स्वतंत्रता के साथ हस्तक्षेप का निषेध विधेयक’ पर 23 राज्यों ने अपने विचार भेजे हैं। कोर्ट को बताया गया कि अन्य राज्यों को भी जल्द से जल्द अपने विचार भेजने के लिए कहा गया है। केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार के अंतर्गत आने के कारण राज्यों से राय मांगी गई है।
शिकायत करते होगा एक्शन
केंद्र ने हालांकि न्यायालय से कहा कि अभी इस कानून के लंबित होने कारण वह पुलिस को उन युगलों के खिलाफ अपराध रोकने के लिए तत्काल निर्देश दे सकता है जिन्होंने अपने मन से शादी करने का निर्णय लिया है या जो शादी कर चुके हैं। केंद्र ने कहा, “पुलिस को ऐसे युगलों को सुरक्षा आवासों में रखकर या किसी अन्य तरीके से उनकी जान की रक्षा करनी होगी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह ऐसे युगलों की शिकायत दर्ज करने के लिए प्रत्येक जिले में विशेष सेल स्थापित करने का निर्देश दें।
सम्मान के नाम पर नहीं होगी हत्या
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) शक्ति वाहिनी की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा जिसके तहत एनजीओ ने ‘ऑनर किलिंग’ की घटनाओं को रोकने, खाप पंचायतों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन तथा शादी करने के इच्छुक वयस्कों के सम्मान की रक्षा करने के लिए कहा था।
दो वयस्कों को विवाह करने का हक
कोर्ट ने जोर दिया कि जाति, पंथ या धर्म कोई भी हो, अगर दो वयस्कों ने विवाह करने का निर्णय लिया है तो कोई तीसरा पक्ष इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। कोर्ट ने पांच फरवरी को कहा था कि खाप पंचायतें समाज के विवेक रक्षक की तरह काम नहीं कर सकतीं।

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