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चंद्रयान-2: नासा और इसरो को कभी नहीं मिलेगा विक्रम लैंडर!

नासा के एलआरओ को दूसरे प्रयास में भी नहीं मिली सफलता। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर हर तरह से है नासा एलआरओ से बेहतर। अभी कई सवाल हैं जिनका जवाब नहीं दिया है इसरो ने।

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Chandrayaan-2: नासा ने विक्रम को भेजा हलो

Chandrayaan-2: नासा ने विक्रम को भेजा हलो

नई दिल्ली। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के चंद्रयान-2 मिशन को लेकर एक बार फिर से उत्सुकता बढ़ गई है। इस बार मामला नासा के लूनर ऑर्बिटर (एलआरओ) द्वारा चंद्रमा की उस सतह की ली गई तस्वीरों के नतीजों को लेकर है, जहां पर विक्रम लैंडर को लैंडिंग करनी थी। लेकिन नासा के अपडेट और इसरो द्वारा जारी होने वाली सूचनाओं को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि अब विक्रम लैंडर कभी नहीं मिलेगा। आइए आपको बताते हैं कि इसके पीछे क्या वजह है।

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बीते 14 अक्टूबर को नासा के ऑर्बिटर एलआरओ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम के लैंडिंग स्पॉट की तस्वीरें खींचीं। 17 सितंबर को नासा के पहले प्रयास की तुलना में इस बार चंद्रमा पर विक्रम के लैंडिंग स्पॉट पर रोशनी की स्थिति ज्यादा बेहतर बताई जा रही थी।

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ऑर्बिटर से खींची गई तस्वीरों का नासा ने करीब एक सप्ताह तक विश्लेषण और गहन निरीक्षण किया, ताकि विक्रम की स्थिति देखी जा सके। हालांकि नासा को इसमें सफलता हासिल नहीं हुई और बुधवार को नासा के इस प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक नोआह एडवर्ड पेट्रो ने बताया कि दूसरी बार भी स्पेस एजेंसी खाली हाथ रही। नासा के एलआरओ द्वारा विक्रम लैंडिंग साइट की भेजी गई तस्वीरों का अध्ययन किया गया, लेकिन वहां पर लैंडर के कोई सबूत नहीं दिखे।

पहली वजहः भविष्य में नासा नहीं हो सकेगा कामयाब

दरअसल, इस बात का जवाब नासा द्वारा दी गई ताजा प्रतिक्रिया में ही छिपा हुआ है। पेट्रो ने बताया कि नासा ने एलआरओ द्वारा भेजी गई ताजा तस्वीरों की तुलना विक्रम के लैंड करने से पहले उस स्थान की तस्वीरों से की गई। इसके लिए नासा ने एक तकनीक का इस्तेमाल किया जो चंद्रमा की सतह पर पड़ने वाले किसी भी इंपैक्ट के चिह्न भांप लेती है और इससे विक्रम की संभावित लोकेशन पता चल जाती। हालांकि तस्वीर में ऐसा कुछ नहीं नजर आया।

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इस दौरान नासा एलआरओ मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन केपलर ने बताया कि हो सकता है कि विक्रम किसी छायादार या खोज किए जाने लायक इलाके की जद से दूर हो। कम ऊंचाई की वजह से चंद्रमा पर तकरीबन 70 डिग्री दक्षिण का इलाका कभी भी छाया से मुक्त (रोशनी वाला) नहीं रहता।

दूसरी वजहः इसरो के चंद्रयान-2 ऑर्बिटर द्वारा तस्वीर न लेना

7 सितंबर की शुरुआती रात जब से विक्रम लैंडर से संपर्क समाप्त हुआ है, उसके बाद से इसरो ने चंद्रयान-2 ऑर्बिटर द्वारा चंद्रमा की सतह और सूरज के कोरोना की तस्वीरें और उनके आंकड़े तो जारी किए, लेकिन विक्रम लैंडर को लेकर कोई जानकारी नहीं दी।

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जबकि इसरो का दावा है कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर ऐसे हाई रिजोल्यूशन कैमरों और ड्युअल फ्रीक्वेंसी वाले सिंथेटिक अपर्चर राडार से लैस है, जो चंद्रमा की सतह पर बहुत दूरी से स्पष्ट तस्वीरें लेने के साथ ही ना केवल सतह बल्कि सतह के नीचे और वहां मौजूद क्रेटर्स के भीतर की भी जानकारी जुटाने की क्षमता रखता है।

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला अब तक का सबसे एडवांस्ड सिस्टम वाला ऑर्बिटर है, जिसने तकनीकी और इमेजिंग के मामले में ना केवल चंद्रयान-1 बल्कि नासा के एलआरओ को भी काफी पीछे छोड़ दिया है।

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ऐसे में यह सवाल उठना भी लाजमी है क्यों अभी तक चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की तस्वीर नहीं खींची? क्यों विक्रम लैंडर के हालात का पता चंद्रयान-2 नहीं लगा सका? क्यों अपेक्षाकृत कम रिजोल्यूशन और राडार सिस्टम वाला नासा का एलआरओ विक्रम की तस्वीरें लेने में लगा हुआ है और चंद्रयान-2 ऐसा नहीं कर पा रहा?

इन सभी सवालों से यह बात साफ है कि जब नासा से बेहतर तस्वीरें चंद्रयान-2 ले सकता है, तो यह कोशिश नहीं की जा रही है। या फिर यह बात तय हो चुकी है कि विक्रम लैंडर अब कभी नहीं मिलेगा!