क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि वर्ष 2012 में केजरीवाल ने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर अभद्र टिप्पणी की थी। जिसे लेकर पवन खेड़ा ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। बता दें कि उस दौरान पवन खेड़ा शीला दीक्षित के राजनीतिक सचिव थे। केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि शीला दीक्षित और बिजली कंपनियों के बीच गठबंधन है।
केजरीवाल ने याचिका रद्द करने की मांग की थी
आपको बता दें कि सीएम केजरीवाल ने निचली अदालत में चल रहे मामले की सुनवाई पर रोक लगाते हुए उसे खारिज करने की मांग की थी। इधर जस्टिस एके पाठक ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर दिल्ली सरकार व शिकायतकर्ता पवन खेड़ा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। जबकि दूसरी ओर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था। उस फैसले के मुताबिक सांसद व विधायकों के मामलों की सुनवाई एक साल के भीतर पूरी होनी चाहिये। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि मानहानि की यह शिकायत दायर करने वाले पवन खेड़ा को कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उनकी मानहानि नहीं हुई है। इसलिये इस मामले को खारिज किया जाना चाहिये। बता दें कि इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने इस शिकायत पर अरविंद केजरीवाल को 31 जनवरी 2013 को बतौर आरोपी समन जारी किया गया था और 28 अक्तूबर 2013 को केजरीवाल पर आरोप तय किये थे।