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कॉलेजियम प्रणाली खत्म, जजों की नियुक्ति का नया कानून लागू

केंद्र ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति
आयोग अधिनियम को अधिसूचित किया

Apr 14, 2015 / 08:36 am

Rakesh Mishra

High court

High court

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सहित देश के 24 उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति की 1993 से चली आ रही कॉलेजियम प्रणाली अब इतिहास हो गई है। केंद्र सरकार ने जजों की नियुक्ति की नई प्रणाली राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को अधिसूचित कर दिया। इसके साथ ही नया कानून लागू हो गया और पुरानी प्रणाली खत्म हो गई।

आयोग को प्राप्त होगा संवैधानिक दर्जा
सरकार ने यह फैसला ऎसे समय किया है, जब सुप्रीम कोर्ट का संविधान पीठ राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम की संवैधानिकता की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करेगा। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम की अधिसूचना कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने जारी किया। इसके साथ ही 99वें संविधान संशोधन अधिनियम को भी लागू कर दिया गया, जो जजों की नियुक्ति के नए कानून को लागू करने के लिए अनिवार्य था। आयोग को संवैधानिक दर्जा प्राप्त होगा।

इन्होंने दी है चुनौती
जजों की नियुक्ति की नई प्रणाली को लागू करने वाले कानून को एडवोकेट्स ऑनल रिकॉर्ड एसोसिएशन, बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया सहित कुछ अन्य लोगों ने याचिका दायर कर चुनौती दी है। तीन जजों की पीठ ने सभी याचिकाओं को सुनवाई के लिए संविधान पीठ को सौंप दिया था, जो 15 अप्रैल को सुनवाई करेगा। कानून मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना जारी होने के साथ ही कॉलेजियम प्रणाली खत्म हो गई, लेकिन जजों की नियुक्ति की नई प्रणाली के जमीनी स्वरूप लेने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू और लोकसभा में विपक्ष की एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और दो विख्यात कानूनविदों को आमंत्रित करेंगे, जिससे राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग का गठन होगा। इसके बाद आयोग की पहली बैठक होगी, जिसके साथ यह कार्यरूप में आ जाएगा।

आखिर क्या है कॉलोजियम प्रणाली
1993 में बनी कॉलेजियम प्रणाली के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट और 24 हाई कोर्टो के जजों की नियुक्ति और स्थानांतरण सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पांच जजों की अनुशंसा से होता है। सरकार कॉलेजियम की अनुशंसा को लौटा सकती है। हालांकि कॉलेजियम के फिर से अनुशंसा करने पर सरकार को इसे स्वीकार करना पड़ता है। पारदर्शिता की कमी को लेकर राजनेताओं और कुछ प्रतिष्ठित न्यायविदों ने कॉलेजियम प्रणाली का विरोध किया। गत सात अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने एनजेएसी कानून को लागू करने पर रोक लगाने से इनकार करते हुए मामले को वृहद पीठ के पास भेज दिया था।

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