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Lockdown में पब्लिक ट्रांसपोर्ट न मिलने की वजह से दिव्यांग ने एक पैर से 165 किलो का सफर 10 घंटे में किया तय

Highlights- दिव्यांग की प्रेरणादायक घटना सामने आई हैं, इस दिव्यांग ने अपनी साइकिल (Bicycle) से 165 किलोमीटर का सफर 10 घंटे में पूरा किया है।- जानकारी के मुताबिक इस व्यक्ति ने एक एक्सीडेंट (Accident) में अपना एक पैर खो दिया था- वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट (Public transport) की कमी की वजह से तमिलनाडु के थन्जौर से मदुरै (Thanjavur to Madurai) तक का सफर उन्हें साइकिल में करना पड़ा

नई दिल्लीAug 05, 2020 / 05:50 pm

Ruchi Sharma

Lockdown में पब्लिक ट्रांसपोर्ट न मिलने की वजह से दिव्यांग ने एक पैर से 165 किलो का सफर 10 घंटे में किया तय

Lockdown में पब्लिक ट्रांसपोर्ट न मिलने की वजह से दिव्यांग ने एक पैर से 165 किलो का सफर 10 घंटे में किया तय


नई दिल्ली. कहते हैं कि अगर हौसला बुलंद हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। ऐसे ही एक दिव्यांग (Handicapped) के हौसले के सामने लाचारी हार गई। यह मामला तमिलनाडु (Tamilnadu) का है। जहां एक दिव्यांग की प्रेरणादायक घटना सामने आई हैं। इस दिव्यांग ने अपनी साइकिल (Bicycle) से 165 किलोमीटर का सफर 10 घंटे में पूरा किया है।
वकील को देने गए थे जरूरी डॉक्यूमेंट

जानकारी के मुताबिक इस व्यक्ति ने एक एक्सीडेंट (Accident) में अपना एक पैर खो दिया था। वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट (Public transport) की कमी की वजह से तमिलनाडु के थन्जौर से मदुरै (Thanjavur to Madurai) तक का सफर उन्हें साइकिल में करना पड़ा, वह अपने वकील को कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट देने गये थे।
एक्सीडेंट गंवा दी थी एक टांग

व्यक्ति का नाम राजा (Raja) है जो थन्जौर जिले के पिलियारपट्टी गांव (Piliyarpatti Village) के रहने वाले हैं। 14 साल की छोटी उम्र में 1994 में एक एक्सीडेंट में वह अपनी एक टांग गंवा बैठे थे। इसके बाद राजा ने कोर्ट में क्षतिपूर्ति पाने के लिए केस दाखिल किया था जो कि लंबे समय से चला आ रहा है लेकिन अभी तक उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला है।
लॉकडाउन के वजह से नहीं मिल पाया ट्रांसपोर्ट

राजा अपने केस के सिलसिले में अक्सर थन्जौर से मदुरै जाते रहते हैं। वर्तमान में कोरोना लॉकडाउन की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी है, लेकिन केस अपने अंतिम चरणों में पहुंच चुका है जिस वजह से उनका कोर्ट जाना और डॉक्यूमेंट देना बहुत जरुरी था।
10 घंटे बाद सफर किया तय

ऐसे में उन्होंने साइकिल चलाते हुए ही मदुरै जाने का फैसला किया और निकल पड़े, 10 घंटे की सफर के बाद वह अपने स्थान पर पहुंच पायें। इस दौरान उन्हें कोई बड़ी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा, वह मुआवजे के चलते वहां गये थे।
इस लिया ये फैसला

राजा के मुताबिक उन्हें लगा था कि कर्फ्यू 31 जुलाई को खत्म हो जाएगा और बसें चलाने लगेंगी, लेकिन उन्हें शंका भी थी कि लॉकडाउन महीनों तक चल सकते हैं, इस वजह से उन्होंने साइकिल से ही मदुरै जाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि उन्हें साइकिल चलाने का अनुभव है, ऐसे में कोई परेशानी नहीं हुई। वह कई जगह साइकिल में सफर करके जा चुके हैं।

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