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संविधान बचाओ अभियान: दलितों के लिए राहुल गांधी का ट्रेनिंग सेशन

कांग्रेस सिर्फ दलितों का सहारा लेकर ही सत्ता के गलियारों में अपना परचम फहरा सकती है?

नई दिल्लीApr 23, 2018 / 03:08 pm

Kiran Rautela

नई दिल्ली। चुनाव मिशन 2019 यानी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। जिसके लिए अभी से पार्टियां अपने नए-नए हथकंडे अपनाने में व्यस्त हैं। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार से संविधान बचाओ अभियान की शुरूआत करने जा रहे हैं। जिसका मुख्य मकसद और फोकस सिर्फ दलित वर्ग ही है।
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बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब राहुल को दलितों को सहारा लेना पड़ रहा है, इससे पहले भी कांग्रेस कई बार दलितों के मुद्दे को ट्रंपकार्ड की तरह खेल चुकी है। तो क्या कांग्रेस सिर्फ दलितों का सहारा लेकर ही सत्ता के गलियारों में अपना परचम फहरा सकती है? साथ ही ये बात भी उभरकर सामने आती है कि सिर्फ दलित ही राहुल के फोकस में रहते हैं और उन्हें रिझाने के लिए हमेशा कुछ ना कुछ कदम उठाते रहते हैं। इसी क्रम में कुछ तथ्य सामने निकलकर आते हैं, जैसे-
अपने काम का ब्यौरा दलितों तक पहुंचाना

कांग्रेस को लगता है कि दलितों के मुद्दे को उठा कर ही वह अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन फिर से हासिल कर सकती है। इसलिए वह दलितों को ये बताने की कोशिश में लगी है कि अभी तक आखिर कांग्रेस ने उनके लिए क्या किया और आगे क्या कर सकती है। बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मद्देनज़र कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया था। जिसके बाद से 2 अप्रैल को देशव्यापी बंद भी बुलाया गया था।
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दलितों को अलग से ट्रेनिंग देना

ऐसा लगता है कि दलितों के बीच अपनी पैठ बिठाने के लिए कांग्रेस कोई भी मौका नहीं छाड़ना चाहती। इसीलिए, कांग्रेस अलग से दलित पिछड़ों और अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दे रही है। जिससे पार्टी की पहुंच इस समाज के भीतर बन सके। खासकर यूपीए सरकार के दौरान चलाई जा रही सामाजिक योजनाओं के बारे में बताना भी एक अहम योजना है।
आरटीई को गलत बताना

कांग्रेस ने अपनी पार्टी में आरटीई (शिक्षा का अधिकार) और राइट टू फूड (भोजन का अधिकार) के कानून को एजेंडे के रूप में शामिल किया है। जिसमें मुख्य रूप से ये बताया जाएगा कि यह कानून सही नहीं है।
कांग्रेस पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी अपना बयान दिया था कि- दलितों के मुद्दे पर राहुल गांधी को बोलने का कोई अधिकार नहीं है। पहले वो बताएं कि उनकी पार्टी ने बाबा साहब अंबेडकर के साथ ऐसा क्यों किया, पार्टी अंबेडकर को भारत रत्न तक नहीं दिला पाईं और अब वो उनकी समर्थक होने का नाटक कर रही हैं। फिलहाल, अब देखना ये है कि दलित वाला कार्ड राहुल के कितने काम आता है। दलित कार्ड से कांग्रेस अपना कितना वोट बैंक बनाती है ये तो चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा।

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