शोधकर्ताओं ( Researcher ) ने सर्वे में पाया है कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजी-रोजगार पर सबसे बुरा असर पड़ा है, जबकि अभी तक इन क्षेत्रों में कोरोना वायरस ( Coronavirus ) का प्रसार काफी कम हुआ है। इस सर्वे में देशभर के 5800 परिवारों से अप्रैल महीने में बात की गई।
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इस सर्वे ( Survey ) के आंकड़ों का विश्लेषण यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो ( University of Chicago ) के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर मारीन बर्टेंड और सीएमआईई के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक कृष्णन ने किया है। इस स्थिति में काफी लोग ऐसे हैं जिनका बिना सहायता के ज्यादा दिन तक जीना मुश्किल हो जाएगा।
लॉकडाउन ( Lockdown ) का सबसे बुरा असर देश के पांच राज्य त्रिपुरा और छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और हरियाणा पर पड़ा है। इस सर्वे में 34 प्रतिशत परिवारों ने कहा कि अब वे बिना अतिरिक्त आर्थिक मदद के एक सप्ताह भी अपना गुजारा नहीं कर पाएंगे।
सर्वे में ऊंचे वेतन वाले लोगों की आय में गिरावट देखी गई हैं, क्योंकि इनमें ज्यादातर लोगों पास स्थायी नौकरी है। वे लॉकडाउन के दौरान घर से काम करने के विकल्प पर काम भी कर पा रहे हैं। वहीं कम आय वाले समूह में सिर्फ कृषि ( Agriculture ) से जुड़े लोग और खानपान से जुड़े श्रमिकों को ही काम मिल पा रहा है।
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सीएमआईई और दूसरी संस्थाओं के आंकड़ों के मुताबिक देश में 25 मार्च को लॉकडाउन के बाद एक महीने में लगभग 10 करोड़ लोगों का रोजगार खत्म हो गया है। जबकि दुनिया की जाए तो 1.3 अरब लोगों की आमदनी अलग अलग देशों में चल रहे लॉकडाउन के कारण बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई है।