ज्यादा मामले देश के पांच शहरों में नीति आयोग (NITI Aayog) के सदस्य डॉ. वीके पॉल के अनुसार कुल संख्या के ज्यादातर मामले पांच राज्यों- महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली और मध्य प्रदेश से हैं। अगर 90 फीसदी केसों की बात की जाए, तो ये देश के केवल 10 राज्यों में ही हैं। कुछ क्षेत्रों में समय पर लॉकडाउन लागू करने से कोरोना से बचाव में बहुत मदद मिली है। इसी के कारण हम भविष्य के लिए हम बेहतर तैयारी कर पा रहे हैं।
कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है कोरोना का प्रकोप डॉ. पॉल के अनुसार- इसी प्रकार देखा जाए, तो कोरोना के कारण जान गंवाने वालों में 80 फीसदी लोग भी पांच राज्यों- महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, वेस्ट बंगाल और दिल्ली के हैं। सरकार के अनुसार- अगर मरने वालों में 95 फीसदी की बात करें, तो यह केवल 10 राज्यों के हैं। इसका मतलब यह हुआ कि इतना बड़ा देश होने के बावजूद कोरोना का प्रकोप कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रहा है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। इस बात ने हमें लॉकडाउन के चौथे चरण के दौरान अन्य क्षेत्रों में काम शुरू करने का आत्मविश्वास दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि लॉकडाउन हमेशा लागू नहीं रखा जा सकता। कोरोना से बचने के लिए हमें जीवन शैली में जरूरी बदलाव करने होंगे।
देश में शुक्रवार रात तक कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 1.22 लाख से ज्याद हो चुकी है। सरकार का दावा है कि देश में लागू लॉकडाउन के कारण ही देश में मरीजों की संख्या बाकी देशों के मुकाबले बेहद कम है।
दुनिया 51 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित बता दें, चीन में दिसंबर में कोविड-19 का पहला मामला सामने आया था। उसके बाद यह वायरस पूरी दुनिया में फैल गया। अब तक दुनिया भर में 51.3 लाख लोग इस जानलेवा वायरस से संक्रमित हुए हैं जबकि करीब 3.3 लाख लोग की इसके संक्रमण के कारण मौत हुई है।
‘स्वास्थ्य कर्मियों को पृथक-वास में भेजने की जरूरत नहीं’ लॉकडाउन के चौथे चरण में कई कामों को छूट देने के अलावा स्वास्थ कर्मियों से संबंधित नियमों में भी बदलाव किया गया है। सरकार की ओर से 15 मई को जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि अब कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को अब पृथक-वास में भेजने की जरूरत नहीं है, जब तक कि उन्हें बहुत ज्यादा खतरा ना हो।