एक अंग्रेजी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में दलाई लामा ने भारत की प्राचीन सभ्यता की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि अगर भारत नैतिक शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ता है तो चीन उसके साथ चलेगा। उन्होंने कहा कि चीन की सरकार को तिब्बत सभ्यता और भाषा का आदर करना चाहिए। दलाई लामा ने कहा कि भारतीय सभ्यता ने हमारे जीने के ढंग को बदल दिया है और इस देश की सभ्यता से हमने शांति का पाठ पढा है।
दलाई लामा ने आगे कहा कि भारत की शांतिप्रिय सभ्यता को देखते हुए ही मैं ये कहना चाहता हूं कि वो गुरू हैं और हम चेला हैं। दलाई लामा ने कहा कि उन्होंने नागासाकी और हिरोसिमा समेत कई युद्ध पीड़ित क्षेत्रों का जायजा लिया, जहां उन्होंने पाया कि समस्या की शुरुआत सेना का प्रयोग करने से होती है।
इंटरव्यू के दौरान दलाई लामा ने कहा कि भारत पूरी दुनिया को हजारों साल से अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ा रहा है और शायद यही वजह है कि भारत को पाकिस्तान से ज्यादा शांत देश माना जाता है। पाकिस्तान में मुस्लिमों की संख्या बहुत है लेकिन भारत में उससे भी कहीं ज्यादा, फिर भी भारत में ज्यादा शांति है। जबकि दोनों ही जगहों के लोग कुरान पढ़ते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में अहिंसा का पाठ पढ़ाया जाता है।