अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि इससे संबंधित रिपोर्ट को शुक्रवार तक उसके समक्ष रखा जाए। पूर्व केंद्रीय मंत्री की ओर से चिकित्सा आधार पर की गई अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने यह निर्देश जारी किए।
कोर्ट ने गुरुवार रात को बोर्ड को बैठक करने को कहा है। चिदंबरम के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दबाव डाला कि वह क्रोहन रोग से पीड़ित हैं, जो हिरासत के दिनों में गंभीर हो गया। अपने पारिवारिक डॉक्टर रेड्डी की देखरेख में चिदंबरम के इलाज पर जोर देते हुए सिब्बल ने यह भी सुझाव दिया कि उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए, क्योंकि उन्हें वहां उपयुक्त वातावरण मिलेगा।
अदालत ने सुझाव दिया कि चिदंबरम को एम्स के निजी वार्ड में सबसे अच्छी चिकित्सा सुविधा मिल सकती है, जहां देश के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों की देखरेख में विभिन्न सांसदों, न्यायाधीशों और प्रख्यात व्यक्तियों का समय-समय पर इलाज किया जाता है। यहां तक कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इसी तरह का सुझाव दिया और अदालत को बताया कि चिदंबरम की वरिष्ठ चिकित्सक आहूजा की ओर से जांच की गई है और पूर्व मंत्री के अनुरोध पर आहूजा ने डॉक्टर रेड्डी के साथ बातचीत की है।
चिदंबरम को एम्स में इलाज कराने का आश्वासन देते हुए मेहता ने कहा कि उन्हें कई बार अस्पताल ले जाया गया था और डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि अस्पताल में पूर्व मंत्री को भर्ती करने की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन सिब्बल मेहता की बात से सहमत नहीं हुए और उन्होंने कहा कि चिदंबरम को उचित चिकित्सा की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि एम्स में चिदंबरम को अच्छा माहौल नहीं मिलेगा।
जब सिब्बल अदालत को समझाने में विफल रहे तो उन्होंने कहा कि वह चिदंबरम की अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका वापस ले रहे हैं। सिब्बल के जवाब से नाराज अदालत ने टिप्पणी की कि इतने बड़े कद के वकील को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। अदालत ने कहा कि- ‘मैं डॉक्टर नहीं हूं। आप (सिब्बल) डॉक्टर नहीं हैं। डॉक्टर को तय करने दें कि उन्हें भर्ती होने की जरूरत है या नहीं।’ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 16 अक्टूबर को धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तारी के बाद चिदंबरम 13 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में हैं।