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दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा सवाल, पैदाइशी विकार से जूझते लोगों का बीमा क्यों नहीं

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कॉन्गेनिटल एनोमलिज (पैदाइशी विकार) से जूझने वाले लोगों को बीमा कवर नहीं दिए जाने पर सवाल उठाया है। हाईकोर्ट ने बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) से इसका जवाब दाखिल करने को कहा है।

नई दिल्लीOct 19, 2018 / 04:21 pm

अमित कुमार बाजपेयी

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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कॉन्गेनिटल एनोमलिज (पैदाइशी विकार) से जूझने वाले लोगों को बीमा कवर नहीं दिए जाने पर सवाल उठाया है। हाईकोर्ट ने बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) से इसका जवाब दाखिल करने को कहा है।
आईआरडीएआई से हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई तक इसका जवाब मांगा है। प्राधिकरण को इस बात का जवाब देना होगा कि पैदाइशी विकार से जूझने वाले व्यक्तियों को बीमा कवर क्यों नहीं दिया जाता है। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की पीठ ने आगामी 17 दिसंबर को होने वाली सुनवाई से पहले इसका जवाब मांगा है।
उच्च न्यायालय ने यह जवाब एक याचिका की सुनवाई के दौरान मांगा है। याचिकाकर्ता निपुण मल्होत्रा ने अदालत से अपील की थी कि वह केंद्र, बीमा प्राधिकरण और बीमा कंपनियों को निर्देश दे कि कॉन्गेनिटल एनालोमिज को बीमा पॉलिसी के एक्सक्लूजन से हटाया जाए।
गौरतलब है कि कॉन्गेनिटल एनोमलिज को जन्म दोष या पैदाइशी विकार भी कहा जाता है। इसके चलते व्यक्ति में जन्म से ही अपंगता, हृदय रोग, डाउन सिंड्रोम समेत अन्य तरह की बीमारियां हो जाती हैं। इस बीमारी की कैटेगरी में आने वाले व्यक्तियों को आईआरडीएआई बीमा पॉलिसी जारी नहीं करता।

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