कोर्ट ने कहा कि फीस बढ़ोतरी को मनमाना या कठोर नहीं कहा जा सकता है। सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ( Delhi High Court ) ने सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत का यह विचार है कि चौथे वर्ष के छात्रों की ओर से फीस बढ़ोतरी के खिलाफ दायर याचिका अस्पष्ट है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
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जस्टिस जयंतनाथ ने कहा कि फीस बढ़ोतरी के इस मामले को मनमाना या कठोर नहीं कहा जा सकता है और अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। छात्रों की ओर से दायर याचिका ‘एकतरफा’ और ‘तर्कहीन’ है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
एनआरआई और गैर एनआरआई कोटे में फीस बढ़ोतरी
आपको बता दें कि NIFT ने एनआरआई और गैर एनआरआई कोटे के छात्रों के लिए फीस में बढ़ोतरी की है। एनआरआई कोटे के लिए 10 फीसदी और गैर एनआरआई कोटे के लिए 5 फीसदी फीस बढ़ोतरी की गई है। छात्रों ने इस फीस बढ़ोतरी को हाईकोर्ट में चुनौती दी। संस्थान की ओर से जारी परिपत्र को छात्रों ने चुनौती दी, जिसमें शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए जाने वाले फीस का उल्लेख था। अब इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।
संस्थान की ओर से जारी परिपत्र को हाई कोर्ट ने देखने के बाद कहा कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने गैर एनआरआई कोटे के छात्रों के लिए जुलाई-दिसंबर 2020 और जनवरी-जून 2021 समेस्टर की फीस को पांच प्रतिशत कम किया है।
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अदालत ने फीस वृद्धि मामले पर अपनी राय देते हुए कहा, ‘हमारा विचार है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा फीस वृद्धि को चुनौती देने के लिए दी गई याचिका अस्पष्ट है। इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।’
याचिकाकर्ताओं मौबनी पोद्दार, अनन्या नारायणन, संस्कृति प्रियंबदा और त्विशा गुप्ता ने वकील अभीक चिमनी के जरिS कोर्ट में याचिका दायर की। वकील चिमनी ने कोर्ट से कहा कि फीस बढ़ोतरी की प्रणाली पूरी तरह से गलत है और इसमें पारदर्शिता नहीं है। उन्होंने कोर्ट के सामने दलील देते हुए कहा, यह स्पष्ट नहीं है कि निफ्ट शैक्षणिक कार्यक्रम अध्यादेश 2012 के खंड 5 (1) के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर भी रहा है या नहीं।
वकील चिमनी ने आगे कहा कि एनआरआई कोटे में की गई फीस वृद्धि के बाद उन्हें सालाना नौ लाख रुपये से अधिक फीस देने होंगे।