2006 से रह रही हैं यहां
जैदी ब्रोकरेज का काम करती हैं। वह 2006 से सरिता विहार के जनता फ्लैट में रहती हैं। पहले यह अपने पति और दो बच्चों के साथ यहां रहती थीं, लेकिन इनके पशु-पक्षी प्रेम की वजह से तंग आकर इनके पति इन्हें छोड़ गए। उन्होंने आरिफा से कहा कि मुझमें और इन पशु-पक्षियों में से किसी एक को चुनना पड़ेगा। इस चुनाव में वह इन बेजुबान जीवों के साथ गईं। अब वह और उनके बेटा-बेटी के साथ ये पशु-पक्षी ही उनके परिवार का हिस्सा हैं।
बचपन से ही पशु-पक्षियों से था लगाव
आरिफा के अनुसार, उन्हें बचपन से ही पशु-पक्षियों से लगाव था। तब वह नहीं जानती थीं कि यही उनके जीने का मकसद बन जाएंगे। अपनी शादी के बाद भी उन्होंने अपने इस जुनून को जारी रखा तो यह बात उनके पति को पसंद नहीं आई। इसकी एक वजह यह भी थी कि अक्सर उन्हें अपने पड़ोसियों के इस ताने का शिकार होना पड़ता था कि उनके पशु-पक्षियों ने जीना मुश्किल कर रखा है। कई बार आरिफा की इस बात को लेकर अपने पड़ोसियों से झड़प भी हो चुकी है। अभी उनके इस छोटे से जनता फ्लैट में उनके दो बच्चों के साथ करीब 25 बिल्ली, 20 कुत्ते और ढेर सारे पक्षी रहते हैं।
कोई भी घायल पशु-पक्षी मिल जाता है तो ले आती हैं अपने घर
बता दें कि वक्त के साथ आरिफा का यह जुनून बढ़ता ही जा रहा है। वह अब भी कहीं कोई घायल पशु-पक्षी को देखती हैं या उन्हें उसकी खबर मिलती है तो वह उसे अपने घर ले आती हैं। वह बताती हैं कि उन्हें इस काम के लिए न तो किसी आम आदमी से कोई मदद मिली और न ही कोई सरकारी आर्थिक मदद ही मिली, बल्कि उल्टे पड़ोसियों का विरोध अलग झेलना पड़ता है। इतनी महंगाई में उनके लिए बड़े होते अपने बेटे और बेटी का लालन-पालन करना भी मुश्किल होता है। इसके बावजूद पशु-पक्षियों को लेकर उनका जुनून जरा भी कम नहीं हुआ।