बताया जा रहा है कि मंगलवार और बुधवार को NSA अजीत डोभाल ने डीसीपी के दफ्तर में बैठक बड़ी बैठक की। लेकिन, इस बैठक से पुलिस कमिश्नर नदारद रहे। इतना ही नहीं NSA डोभाल ने जब पहली बैठक की तो पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक भी इस बैठक में शामिल होने जा रहे थे। लेकिन, उन्हें रास्ते से ही लौटा दिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली हिंसा को लेकर एनएसए अजीत डोभल इस मामले में विशेष आयुक्त ( अपराध ) सतीश गोलचा और नवनियुक्त विशेष कमिश्नर ( कानून-व्यवस्था ) एसएन श्रीवास्तव से सीधे बात कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि रिटायरमेंट के बाद महीने भर सेवा विस्तार पर दिल्ली पुलिस के मुखिया पटनायक को कई बातों का जवाब देना पड़ेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली पुलिस सीधे गृह मंत्रालय के तहत है, लिहाजा एनएसए और पीएमओ स्तर पर मंत्रालय की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
डोभाल इस बात से सख्त नाराज हैं कि इलाके की पुलिस की तरफ से बार-बार फोर्स भेजने की गुजारिश के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। पीसीआर कॉल डिटेल से साफ है कि स्थानीय पुलिस ने करीब सात बार हालात की गंभीरता की जानकारी देते हुए फोर्स या बड़े अधिकारी के न होने की बात कही। बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस आयुक्त के पास स्पेशल आर्म्ड फोर्स की 24 कंपनी हमेशा रिजर्व रहती है। इसे कमिश्नर कहीं भी भेज सकते हैं। इसके अलावा दिल्ली पुलिस की करीब 100 कंपनियां ऐसी होती हैं जो ड्यूटी पर नहीं रहतीं। इन्हें इमरजेंसी में कहीं भी भेजा जा सकता है। डोभाल ने पूछा कि कमिश्नर ने पर्याप्त फोर्स भेजने का फैसला क्यों नहीं किया। कमिश्नर की यह दलील भी काम नहीं करेगी कि पूरी दिल्ली पुलिस ट्रंप की सुरक्षा में तैनात थी और पुलिस की कमी थी। फिलहाल, सही हिंसाग्रस्त इलाकों में काफी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। हालांकि, अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और जीवन एक बार फिर पटरी पर लौट रही है।