नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू के बढ़ते संकट से लोग परेशान हैं, वहीं राजधानी के अस्पताल ऎसे समय में लोगों का इलाज करने के बजाए ये कह कर मरीजों को इधर-उधर भेज रहे हैं कि उनके पास मरीज के लिए बेड नहीं है। दिल्ली में डेंगू के कारण एक और बच्चे की मौत हो जाने के बाद, अब अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था और मरीजों के हालात का जायजा लेने के लिए खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूर्वी दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल का औचक मुआयना किया।
सीएम केजरीवाल ने अस्पतालों पर सख्ती के संकेत के साथ नया कानून बनाने की कोशिश की बात कही। उन्होंने कहा, इस मसले पर विधानसभा का सत्र बुलाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने माना कि अस्पतालों में बहुत Êयादा भीड़ है। इसके बाद सीएम डॉ. हेडगेवार अस्पताल भी जाएंगे। आपको बता दें कि रविवार को डेंगू के कारण छह वर्षीय अमन शर्मा की मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि छह अस्पतालों ने अमन को भर्ती करने से इनकार कर दिया था।
इससे पहले दिल्ली सरकार ने डेंगू से पीडित सात वर्ष के अविनाश राउत को इलाज के लिए कथित रूप से मना करने के मामले में पांच निजी अस्पतालों के खिलाफ न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। राउत की बाद में मृत्यु हो गई थी और उसकी मौत से दुखी होकर उसके माता-पिता ने अपने घर की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने मंगलवार को बताया कि इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मंडलायुक्त को निर्देश दिया गया है कि वह स्थानीय सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट को जांच के लिए नियुक्त करें और सात दिन के भीतर सरकार को इस मामले की रिपोर्ट सौंपे।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक दक्षिण दिल्ली के पांच निजी अस्पतालों मूलचंद, खैराती राम हास्पिटल , मैक्स सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल (साकेत) , आकाश आरोग्य मंदिर ( मालवीय नगर ) , साकेत सिटी हास्टिपल और आइरिन हास्पिटल कालका जी को पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी कर चुका है। सिसौदिया ने यह भी निर्देश दिए हैं कि दिल्ली के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को यह हिदायत दी जाए कि वह बिस्तरों की कमी बताकर डेंगू से पीडित मरीजों को भर्ती करने से मना न करें। उन्होंने निर्देश दिया है कि जांच में अस्पतालों की जिम्मेदारी तय करने के साथ साथ विशेष उपाय सुझाये जाने चाहिए जिससे कि ऎसे दर्दनाक हादसों से बचा जा सके।
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