बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने फडणवीस के 2014 के चुनावी हलफनामे में दो आपराधिक केसों की जानकारी छिपाने के मामले में नागपुर की कोर्ट को ट्रायल फिर से चलाने का आदेश दिया गया था। हालांकि अब कोर्ट फडणवीस की पुनर्विचार याचिका यानी खुली अदालत में सुनवाई की मांग पर राजी हो गया है। पिछले साल फडणवीस को नागपुर पुलिस ने समन भी भेजा था। इस मामले ने तेजी तब पकड़ी जब महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली नई सरकार ने शपथ ली।
वीरता पुरस्कार पाने वाले बच्चों से बोले पीएम मोदी- मैं आपकी बहादुरी को सोशल मीडिया पर शेयर करूंगा नागपुर मजिस्ट्रेट अदालत ने 1 नवंबर को एक आवेदन पर सुनवाई की थी जिसमें कथित रूप से खुलासा न करने के लिए भाजपा नेता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की मांग की गई थी। शहर के वकील सतीश उके ने अदालत में एक आवेदन दायर कर मांग की थी कि फडणवीस के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाए। बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत के पहले के आदेश पर उके की याचिका को खारिज कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर को मजिस्ट्रेट की अदालत को उके द्वारा दायर आवेदन के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया। 4 नवंबर को मजिस्ट्रेट की अदालत ने कहा कि इस मामले को आपराधिक मामले के रूप में रखा जाएगा और नोटिस जारी किया जाएगा।
नसीरुद्दीन शाह के समर्थन में उतरे शशि थरूर, स्वराज कौशल से पूछा- ताे अनुपम की आलोचना करना राष्ट्र इस मामले को देख रहे मजिस्ट्रेट एसडी मेहता ने कहा कि पूर्व सीएम फडणवीस के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 125ए के तहत अपराध के लिए दंडात्मक कार्रवाई जारी है। 1996 और 1998 में फडणवीस के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन दोनों मामलों में आरोप तय नहीं हुए थे। उके ने आरोप लगाया कि फडणवीस ने अपने चुनावी हलफनामों में इस जानकारी का खुलासा नहीं किया।