प्रमुख न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं के बीच चर्चा
उन्होंने कहा कि यह बहु-प्रतीक्षित विधेयक है। आपराधिक न्याय वितरण प्रणाली में डीएनए टेक्नोलॉजी विधेयक लाने के लिए 2003 में कुछ प्रमुख न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं के बीच चर्चा हुई थी। तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने डीएनए रूपरेखा सलाहकार समिति का गठन किया था। उन्होंने कहा कि 2004 में सरकार बदल गई, लेकिन अगली सरकारों ने इस पर कुछ काम किया। आखिरकार अगस्त 2018 में हम यह विधेयक लाए और सदन में चर्चा के लिए यह 2019 में आया।
पिछले साल लगभग 40,000 लावारिस शव पाए गए
विधेयक को समझाते हुए उन्होंने कहा कि देश में सिर्फ 30-40 डीएनए प्रोफाइलिंग विशेषज्ञ और 15-18 प्रयोगशालाएं हैं, लेकिन देश में अबतक कोई डीएनए डाटा बैंक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल लगभग 40,000 लावारिस शव पाए गए और लगभग एक लाख बच्चे लापता हो गए। इसलिए उनकी पहचान के लिए विधेयक की जरूरत है। इसके बावजूद, डीएनए प्रोफाइलिंग के माध्यम से आदतन अपराधियों को पकड़ने की जरूरत है। हर्षवर्धन ने कहा कि विधेयक के कानून बनते ही इसका उपयोग आपराधिक न्याय प्रणाली तंत्र में, लापता बच्चों को उनके परिजनों से मिलाने तथा अन्य उद्देश्यों में किया जा सकेगा।