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जानिए क्यों अमरीका जैसे बड़े देश हाईस्पीड ट्रेनों से हैं दूर?

ज्यादातर देशों में दो शहरों के बीच तेज गति से आवागमन के उद्देश्य से ही बुलैट ट्रेन चलाई गई, लेकिन यह हवाई जहाजों से पिछड़ गई…

नई दिल्लीSep 14, 2017 / 07:29 pm

shachindra श्रीवास्तव

Do you know why most countries not run Bullet Train

bullet train

नई दिल्ली। बुलैट ट्रेन यानी हाईस्पीड ट्रेन का इतिहास यूं तो करीब 50 साल पुराना है, लेकिन दुनिया के ज्यादातर देश ट्रेनों की रफ्तार पर लगाम लगाए हुए हैं। इसकी वजह है ज्यादा खर्च। असल में हाई स्पीड ट्रेनों की शुरुआत किसी देश के दो बड़े शहरों के बीच तेज आवागमन के उद्देश्य से हुई। फ्रांस में पेरिस और लियोन के बीच तो जापान में टोक्यो और ओसाका के बीच इसकी शुरुआत हुई। इसी तरह स्पेन में पहले मेड्रिड और सेविले के बीच हाई स्पीड ट्रेन चली फिर बार्सिलोना को भी इस नेटवर्क से जोड़ा गया।
तेजी और खर्च में पिछड़ी हवाई सेवा से
अमरीका ने बोस्टन और न्यूयॉर्क के बीच तेज गति से ट्रेन चलाई गई। अन्य शहरों के बीच भी तेज आवागमन की मांग बढ़ी, लेकिन इससे पहले कि हाईस्पीड ट्रेनों का नेटवर्क तैयार होता, हवाई सेवा ने इस बाजार को अपने कब्जे में ले लिया। अन्य देशों में भी लगभग यही स्थिति रही। वैसे भी बाजार में तेजी और मंदी के प्रति ट्रेन और सड़क परिवहन की तुलना में हवाई सेवा ज्यादा संवेदनशील मानी जाती है।
5 देशों में 300 किमी से ज्यादा की रफ्तार
दुनिया में महज पांच देश ऐसे हैं जिनमें 300 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक रफ्तार वाली ट्रेन चलती हैं। इनमें चीन (अधिकतम स्पीड 350 किमी प्रति घंटा), फ्रांस (अधिकतम स्पीड 350 किमी प्रति घंटा), जापान (अधिकतम स्पीड 320 किमी प्रति घंटा), स्पेन (अधिकतम स्पीड 310 किमी प्रति घंटा) और दक्षिण कोरिया (अधिकतम स्पीड 305 किमी प्रति घंटा) शामिल हैं।
17 देशों अधिकतम रफ्तार 250 से 300 किमी
जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, ताइवान, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, तुर्की, रूस, ऑस्ट्रिया, उजबेकिस्तान, स्विट्जरलैंड ऐसे देश हैं, जहां 250 से 300 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भी कुछ ट्रेनें दौड़ती हैं।
200 किमी से ज्यादा की स्पीड
अमरीका, फिनलैंड, नार्वे, स्वीडन, पोलैंड और डेनमार्क में कुछ ट्रेनों की रफ्तार 200 किमी प्रति घंटे से ज्यादा है, लेकिन ये महज कुछ किलोमीटर के ट्रैक पर ही चलती हैं। जैसे अमरीका में 45 किमी के ट्रैक पर 240 किमी की अधिकतम रफ्तार से ट्रेन चलती है। वहीं नार्वे में महज 64 किमी ट्रैक ही हाईस्पीड ट्रेनों के लिए निर्धारित है।
सबसे ज्यादा हाईस्पीड रेल नेटवर्क
देश नेटवर्क लंबाई किमी में
चीन 22000 किमी
स्पेन 3100 किमी
जर्मनी 3038 किमी
जापान 2765 किमी
फ्रांस 2647 किमी
(इनके अलावा ब्रिटेन (1377 किमी) और इटली (1350 किमी) में ही ट्रैक की लंबाई हजार किमी से ज्यादा है।)

क्या हैं हाइस्पीड ट्रेन की मुश्किलें
– हाइस्पीड ट्रेनों के लिए दुनियाभर में जमीन अधिग्रहण बड़ी समस्या रही है।
– पहाड़ों के बीच सुरंग और सुरक्षा के लिहाज से यह बेहद खर्चीली हो जाती है।
– मांग के मुताबिक दो शहरों के बीच जल्द नई ट्रेनें चलाना संभव नहीं होता, इसलिए हवाई सेवा से पिछड़ जाती है हाइस्पीड ट्रेन।
– शहरों के बीच सीधी पटरी डालना संभव नहीं होता। पटरियां कई जगह से मोड़ लेती हैं, इससे स्पीड पर असर पड़ता है।
– दुर्घटनाएं बेहद भयावह होती हैं।

बड़े हादसे भी हुए स्पीड के कारण
– 1998 में जर्मनी में कमजोर डिजाइन हादसे की वजह बनी। 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार वाली ट्रेन की 16 बोगियां पटरी से उतर गईं। 101 लोगों की जान गई।
– 2011 में चीन की सीआरएच 2 हादसे का शिकार हुई। 40 लोगों की जान गई और 192 लोग घायल हुए।
– 2013 में स्पेन में 190 किमी की रफ्तार से दौड़ती एक मोड पर हादसे का शिकार हुई। इस मोड पर अधिकतम स्पीड लिमिट 80 किमी प्रति घंटे की थी। 78 लोगों की मौत हुई इस हादसे में।
– 2015 में टीजीवी यूरो डुप्लैक्स हादसे का शिकार हुई। यह हादसा भी एक मोड पर हुआ। हादसे में 11 लोगों की मौत हुई और 37 लोग जख्मी हुए।

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