कोच्चि। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. पीए बिजू अपने मरीज को सुझाई दवाई लेने की वजह से पिछले 9 साल से कोमा में थे। बिजू की सोमवार रात को मौत हो गई। बिजू ने 25 जनवरी 2007 को एक महिला को सुझाई अपनी दवा की प्रमाणिकता सिद्ध करने के लिए पी ली थी। इस दवाई को पीते ही डॉ. बिजू कोमा में चले गए थे।
9 साल पहले अर्थराइटिस की मरीज को लिखी थी दवाई
46 साल के डॉक्टर 2007 में इडुकी जिले के बिसन वैली में एक सरकारी आयुर्वेदिक क्लिनिक में काम किया करते थे। एक महिला करयाम कुन्नेल शांता जोकि अर्थराइटिस से पीडि़त थी, बिजू से अपना इलाज करवा रही थी। डॉक्टर की दी गई दवाई से महिला को फायदा भी हो रहा था। 24 जनवरी 2007 को डॉक्टर ने महिला को रासनापंचकाम काशायम लेने की सलाह दी। इसके दूसरे दिन महिला का पति के साथ कुछ लोग दवाई लेकर डॉ. बिजू के पास पहुंचे। इन लोगों ने डॉक्टर को बताया कि उसकी दी गई इस दवाई को लेकर महिला बेहोश हो गई है। इन सभी लोगों ने महिला की इस अवस्था के लिए डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराया।
दवाई को सही सिद्ध करने के लिए खुद ही पी गया
डॉक्टर ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वो खुद इस दवाई को पीने को तैयार है। भीड़ में आए लोगों ने डॉक्टर को उसी दवाई को पीने के लिए मजबूर कर दिया। दबाव बनाए जाने पर डॉक्टर ने ये दवाई पी ली। दवा पीते ही डॉ. बिजू को उलटी हुई और वो बेहोश हो गया। उसे तत्काल कोठामंगलम के अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में उन्हें एर्नाकुलम भी शिफ्ट किया गया, लेकिन कोमा में जा चुके डॉ. बीजू की हालत में सुधार नहीं हुआ।
महिला की दवाई में पति ने ही मिलाया था जहर
डॉ. बीजू बीते नौ साल से इसी स्थिति में थे। हालांकि, बाद में जांच के दौरान पता चला कि करियाम के पति राजप्पन ने झगड़े को दौरान अपनी पत्नी की दवा में कुछ मात्रा में कीटनाशक मिला दिया था। खुद को बचाने के लिए उसने डॉक्टर को जिम्मेदार ठहरा दिया। बाद में डॉ. बीजू की पत्नी की शिकायत पर राजप्पन को गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी पत्नी खुद भी एक आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं।
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