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ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश कुमार कुहर से कहा कि शिवकुमार की तरफ से जमानत के लिए दलील दी गई है कि समाज में उनकी जड़ें गहरी हैं। लेकिन मैं कहूंगा कि इस मामले की जड़ें काफी गहरी हैं।’
सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा कि शिवकुमार ने इस मामले में सहयोग नहीं किया और उन्होंने बुनियादी सवालों के जवाब भी नहीं दिए। ईडी ने अदालत को बताया, ‘एक प्रभावशाली और शक्तिशाली व्यक्ति होने के कारण उनकी ओर से जांच में बाधा डालने की पूरी संभावना है।’
नटराजन ने कहा कि इस मामले में जमानत देना उपयुक्त नहीं है। यह एक ऐसा मामला है, जिसमें अभियुक्त ने बिना स्रोत के बड़ी संपत्ति हासिल की है। यह व्यक्ति स्रोत का खुलासा नहीं कर रहा है। जब नींव ढह जाती है तो इमारत गिरती ही है।’
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वहीं, अभियोजन पक्ष के दावों का विरोध करते हुए शिवकुमार की ओर से वरिष्ठ वकिल अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘यह कैसे संभव है कि आपने आईटी अधिनियम का आरोप लगाया है, जोकि एक नियत अपराध भी नहीं है। क्या वह जमानत के हकदार नहीं हैं? इस मामले में अपराध सिद्ध नहीं हुआ है।’ सिंघवी ने सवालिया लहजे में कहा, ‘उनके महज 20 सक्रिय खाते हैं। फिर 317 खातों का आंकड़ा कहां से आया? मुझे 21वां खाता दिखाओ तो मैं चुप होकर बैठ जाऊंगा।’