विकास को मिलेगा बढ़ावा दूसरी तरफ केंद्र सरकार इसे विकास, रोजगार और पर्यावरण संतुलन को बढ़ावा देने वाला मसौदा मानती है। केंद्र सरकार का इस मसौदे को लेकर कहना है कि इस पर अमल से देशभर में आधारभूत ढांचों के निर्माण सहित विकास ( Development ) को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार ( Employment ) भी मिलेंगे।
Rajnath Singh big announcement: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, अब देश में ही बनेंगे 101 उपकरण रोजगार और बाजार के लिए लोक विमर्श से छूट लोक विमर्श से ईआईए 2020 मसौदे में कई सार्वजनिक परियोजनाओं ( Public Sector Big Project ) जैसे सिंचाई परियोजनाओं का आधुनिकीकरण, सभी भवन, निर्माण और क्षेत्रीय विकास परियोजनाओं, अंतर्देशीय जलमार्ग, राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार या चौड़ीकरण, राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा से संबंधित सभी परियोजनाओं या अन्य रणनीतिक परियोजनाओं को लोक विमर्श से छूट दी गई है।
राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतिक लिहाज से अहम केंद्र सरकार द्वारा सभी रेखीय परियोजनाएं जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में पाइपलाइनें और 12 समुद्री मील से परे स्थित सभी परियोजनाएं भी इस से बाहर रखी गई हैं। केंद्र सरकार का तो कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा ( National Security ) के अलावा अन्य रणनीतिक महत्व की परियोजनाओं के पर्यावरणीय अनुमति से सम्बंधित सूचना भी सार्वजनिक नहीं की जाएगी।
World Tribal Day 2020 : क्या भारत में आदिवासी समुदाय अपनी पहचान और संस्कृति को बचाने में सफल रहे हैं? कुल मिलाकर केंद्र सरकार ने मसौदा अधिसूचना 2020 में कई प्रकार की परियोजनाओं को पर्यावरणीय अनुमति लेने की आवश्यकता से मुक्त कर दिया है, जिनके लिए पहले अनुमति लेनी आवश्यक थी। पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन अधिसूचना 2020 लागू होने पर खनन परियोजनाओं को 50 साल के लिए पर्यावरणीय अनुमति मिल सकती है। इससे पहले 30 वर्ष के लिए ही पर्यावरणीय अनुमति दी जाती थी।
सामुदायिक हितों के खिलाफ AAPSU के अनुसार अरुणाचल प्रदेश लंबे समय से भारत का कार्बन सिंक एरिया है। इसलिए EIA-2020 Draft पर अमल हुआ तो बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक असंतुलन और विनाश के अलावा यह स्थानीय समुदायों के अस्तित्व के लिए खतरा साबित हो सकता है। यह मसौदा ईआईए पोस्ट फैक्टो को मंजूरी देने का प्रस्ताव करता है जो निश्चित रूप से उन परियोजनाओं के लिए अनुकूल होगा जो पहले से गैर कानूनी तरीके से इस क्षेत्र में चल रहे हैं। यह मसौदा पर्यावरणीय संतुलन ( Environmental balance ) को लेकर पहले से तय सुरक्षा मानकों ( Safety Norms ) को कमजोर करेगा।